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उत्तराखंड के डीजीपी दीपम सेठ ने याद दिलाई कोर्ट गाइडलाइन्स,प्रदेश पुलिस में तय हुई जवाबदेही, विवेचनाओं की होगी मॉनिटरिंग 

Uttarakhand DGP Deepam Seth reminded of court guidelines, accountability fixed in state police, investigations will be monitored

उत्तराखंड में पुलिसिंग को और सुदृढ़ बनाने और अपराधों की विवेचना (जांच कार्रवाई) को बेहतर करने समेत विभिन्न मुद्दों पर पुलिस महानिदेशक दीपम सेठ ने उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की। इस दौरान पुलिस महानिदेशक ने थानों से लेकर कप्तानों तक की जवाबदेही से जुड़े निर्देश भी जारी किए। 

उत्तराखंड डीजीपी दीपम सेठ ने पुलिस मुख्यालय देहरादून में अधिकारियों की उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक ली। इस दौरान उन्होने अधिकारियों को जरूरी निर्देश दिये हैं आपको बता दे कि राज्य में अपराधों की निष्पक्ष और वैज्ञानिक जांच को लेकर डीजीपी  दीपम सेठ की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग बैठक आयोजित की गई। इसमें गढ़वाल और कुमाऊं रेंज के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक और अधिकारियों ने भाग लिया। डीजीपी ने गंभीर अपराधों की विवेचना में पारदर्शिता, समयबद्धता और वैज्ञानिक दृष्टिकोण को अनिवार्य बताते हुए निर्देश दिए कि प्रत्येक चार्जशीट, फाइनल रिपोर्ट और जांच रिपोर्ट का वरिष्ठ अधिकारी व्यक्तिगत रूप से पर्यवेक्षण करें। उन्होंने कहा कि पुलिस मुख्यालय द्वारा अपराध-आधारित एसओपी  तैयार की गई है, जिसे नए आपराधिक कानूनों के अनुरूप अपडेट किया जाएगा। इस दौरान बैठक में अपराधों की विवेचना पर फोकस रहा, जिसमें पुलिस अधिकारियों को विवेचना में गुणवत्ता बढ़ाने और समयबद्ध विवेचना करने के निर्देश दिए गए. इसमें डीजीपी दीपम सेठ ने कहा कि अपराधों की विवेचना के दौरान पारदर्शिता होनी चाहिए। साथ ही जांच रिपोर्ट, चार्ज शीट और फाइनल रिपोर्ट पर पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा व्यक्तिगत रूप से पर्यवेक्षण (निगरानी) किया जाना चाहिए। 

बैठक के दौरान एक महत्वपूर्ण मुद्दा उच्च न्यायालय से जुड़े प्रकरणों की जांच प्रक्रिया को लेकर भी रहा. जिसमें निर्देश दिए गए कि अधिकारियों को सही विवेचना और निष्पक्ष होकर इसके लिए इन्वेस्टिगेशन प्लान, वैज्ञानिक साक्ष्य, वीडियो ग्राफी और इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य पर फोकस करना होगा। थानों की विवेचनाओं का प्रभावी पर्यवेक्षण, कमियों की पहचान और समयबद्ध सुधार संबंधित क्षेत्राधिकारी, अपर पुलिस अधीक्षक और जनपद स्तर पर सुनिश्चित किया जाना चाहिए। यह भी स्पष्ट कर दिया गया कि न्यायालय के निर्देशों के अनुपालन और पुलिस मुख्यालय के निर्देशों की अवहेलना पर विवेचक (जांच अधिकारी), थानाध्यक्ष और क्षेत्राधिकार (सीओ) समेत अपर पुलिस अधीक्षक (एएसपी) स्तर के अधिकारियों का उत्तरदायित्व सुनिश्चित किया जाए। राज्य में गंभीर अपराधों की जांच में पारदर्शिता और वैज्ञानिक दृष्टिकोण बढ़ाने के लिए नियमित रूप से प्रशिक्षण कराए जाने पर भी जोर दिया गया है. इसका मकसद पुलिसकर्मियों को विवेचना के दौरान प्रोफेशनल रूप से काम करवाना है. ताकि मामलों को जल्द से जल्द खोलने में मदद मिले। प्रशिक्षण मॉड्यूल तैयार कर 3000 विवेचकों को चरणबद्ध रूप से नए आपराधिक कानून, वैज्ञानिक साक्ष्य, अभियोजन समन्वय एनडीपीएस, महिला एवं बाल अपराध और साइंटिफिक इन्वेस्टिगेशन के लिए तैयार किया जाए।