जयंती पर विशेषः कवि की कलम से सत्ता के शिखर तक! पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का वो ऐतिहासिक सफर, जिसने उन्हें बना दिया भारतीय राजनीति का अजातशत्रु

Birth Anniversary Special: From poet's pen to the pinnacle of power! Former Prime Minister Atal Bihari Vajpayee's historic journey made him the undisputed champion of Indian politics.

नई दिल्ली। देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की आज 101वीं पुण्यतिथि है और इस मौके पर पूरा देश उन्हें नमन कर रहा है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत तमाम हस्तियों ने पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजलि अर्पित की। अटलजी एक प्रतिष्ठित राष्ट्रीय नेता, प्रखर राजनीतिज्ञ, निःस्वार्थ सामाजिक कार्यकर्ता, सशक्त वक्ता, कवि, साहित्यकार, पत्रकार और बहुआयामी व्यक्तित्व वाले व्यक्ति के धनी थे। भाजपा में एक उदार चेहरे के रूप में उनकी पहचान थी। अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर, 1924 को मध्यप्रदेश के ग्वालियर में रहने वाले एक स्कूल शिक्षक के परिवार में हुआ। पिता कृष्णबिहारी वाजपेयी हिन्दी व ब्रज भाषा के सिद्धहस्त कवि भी थे। अतः काव्य कला उन्हें विरासत में मिली। उन्होंने अपना करियर पत्रकार के रूप में शुरू किया था और राष्‍ट्रधर्म, पांचजन्य और वीर अर्जुन का संपादन किया। 

अटल बिहारी वाजपेयी संसदीय मर्यादा का पालन करने वाले वह एक ऐसे व्यक्ति थे जो विपक्ष में रहकर भी सरकार का समर्थन करते थे। उन्हें भारतीय राजनीति का अजातशत्रु भी कहा जाता था। अटल जी भारतीय राजनीति के दिग्गज नेताओं में से एक थे। वे करीब 10 बार लोकसभा और 2 बार राज्यसभा के सासंद रहे। वह पहले ऐसे गैर कांग्रेसी व्यक्ति थे जो लगातार तीन बार प्रधानमंत्री रहे। पहली बार 13 दिन के लिए, दूसरी बार 8 महीने के लिए तीसरी बार उन्होंने 5 साल का कार्यकाल पूरा किया। बता दें अटल जी को छात्र जीवन से ही राजनीति में खास रुचि थी। उनकी राजनीतिक कौशलता कॉलेज के दिनों से ही सामने आने लगी थी। विक्टोरिया कॉलेज में पढ़ाई के दौरान अटल बिहारी कॉलेज के संघ मंत्री और उपाध्यक्ष भी बने। कहा जाता है कि उनकी सक्रियता ग्वालियर में आर्य समाज आंदोलन की युवा शाखा आर्य कुमार सभा से शुरू हुई। वर्ष 1944 में वह इस सभा के महासचिव भी बने। इसी साल 21 अक्टूबर को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने दक्षिणपंथी राजनीतिक दल की नींव रखी थी। डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी, पं दीनदयाल उपाध्याय और प्रोफेसर बलराज मधोक इसके संस्थापक संघ थे। इस दौरान संघ ने ब्रिटिश राज के शासनकाल के दौरान शुरू किए गए अपने काम को जारी रखने और अपनी विचारधारा को आगे बढ़ाने के लिए एक राजनीतिक दल के गठन पर विचार करना शुरू कर दिया था। संघ के सहयोग से दिल्ली में भारतीय जनसंघ की शउरुआत हुई। यहीं से अटल बिहारी वाजपेयी की राजनीतिक यात्रा की शुरुआत हुई।​ वो अटल बिहारी वाजपेयी ही थे, जिन्होंने कारगिल के युद्ध में पाकिस्तान को घुटने टेकने के लिए मजबूर कर दिया। उनका पूरा जीवन अपने आप में प्रेरणा से भरा हुआ है।