उत्तराखंड में 92 करोड़ का एलयूसीसी घोटाला! मुख्य आरोपी विदेश फरार, 10 राज्यों से जुड़े तार,सीबीआई देगी दखल

92 crore LUCC scam in Uttarakhand! Main accused absconding abroad, links to 10 states, CBI will intervene

देहरादून। उत्तराखंड के सबसे बड़े फ्रॉड एलयूसीसी चिट फंड घोटाला को लेकर सरकार हरकत में आ गई है। सरकार की तरफ मामले की जांच सीबीआई को सौंपे जाने की प्रक्रिया तेज कर दी है। ताकि एलयूसीसी चिटफंड घोटाले की बेहतर ढंग से जांच होने के साथ ही जनता के पैसे को वापस दिलाया जा सके। उत्तराखंड में एलयूसीसी चिटफंड कंपनी के खिलाफ अलग-अलग जिलों में 15 मुकदमें दर्ज हैं, जिसकी अभी तक जांच सीआईडी कर रही थी। लेकिन अब इसकी जांच सीबीआई करेगी। 

आईजी गढ़वाल राजीव स्वरूप ने लोनी अर्बन मल्टी-स्टेट क्रेडिट एंड थ्रिफ्ट कोऑपरेटिव सोसाइटी के संबंध में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि एलयूसीसी एक सहकारी समिति थी, जिसने विभिन्न राज्यों, विशेषकर उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में आम जनता को वित्तीय सेवाओं की पेशकश की थी।  समिति ने हजारों निवेशकों को 4 से 5 साल में पैसा दोगुना करने जैसे ऊंचे रिटर्न का लालच दिया। सोसायटी के तत्कालीन डायरेक्टर मानवेंद्र द्विवेदी ने केंद्रीय रजिस्ट्रार ऑफ कोऑपरेटिव सोसाइटी से बिना अनुमति के अवैध रूप से अलग-अलग स्थानों पर अपनी 35 शाखाएं खोली। उत्तराखंड में खोली गई शाखाओं में हजारों निवेशकों द्वारा अपना धन जमा किया गया। कुछ समय बाद निवेशकों द्वारा शिकायत की गई कि कंपनी ने उनकी धनराशि की मैच्योरिटी होने पर भी वापस नहीं की. समिति के प्रबंधक आदि सभी फरार हैं। उसके बाद अलग-अलग शिकायतों पर उत्तराखंड के अलग-अलग जिलों में सहकारी समिति के खिलाफ कुल 15 मुकदमे दर्ज किए गए। जिनमें कुल 20 आरोपियों को नामजद किया गया है। जांच के दौरान जानकारी मिली कि सोसायटी के खिलाफ उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश में भी 5 मुकदमे दर्ज हैं। समीर अग्रवाल निवासी मुंबई ने सोसायटी की स्थापना की थी। समीर अग्रवाल ने कुल 6 सोसायटी बनाई थी। 

उत्तराखंड में सोसायटी का संचालन उर्मिला बिष्ट और जगमोहन बिष्ट द्वारा किया जाता था। साथ ही 12 आरोपियों की गिरफ्तारी और वारंट बी पर तलब किया जा चुका है। मुख्य आरोपी समीर अग्रवाल का वर्तमान में दुबई में होना जानकारी में आया है। उत्तराखंड में सोसायटी द्वारा लगभग 92 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी कर निवेशकों का पैसा हड़पा गया है। आईजी गढ़वाल राजीव स्वरूप ने बताया कि इस अपराध की उत्तराखंड के अलावा उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश में दर्ज मुकदमों और अन्य प्रदेशों में भी सोसायटी की एजेंसियों के होने के मद्देनजर मुख्यमंत्री द्वारा खुद सभी मामलों का संज्ञान लिया गया। शासन और पुलिस के उच्चाधिकारियों से पूरी जानकारी लेकर मामले में जल्द जांच कराने के लिए सोसायटी के खिलाफ दर्ज सभी मुकदमों की जांच सीबीआई से कराने के लिए केंद्र सरकार में अलग-अलग स्तरों पर स्वयं वार्ता की गई। जिसके क्रम में सभी मामलों की जांच सीबीआई से कराए जाने के लिए उत्तराखंड शासन द्वारा गृह मंत्रालय भारत सरकार को पत्राचार किया गया है।