तो क्या अब जेल जाएंगे राहुल गाँधी? कोर्ट से राहत न मिलने के बाद राहुल के पास है कोई और रास्ता?

So will Rahul Gandhi go to jail now? After not getting relief from the court, does Rahul have any other way?

कांग्रेस नेता राहुल गांधी को गुजरात हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने राहुल की याचिका खारिज कर दी है। इसलिए कह सकते है मोदी सरनेम विवाद में राहुल गांधी को फिलहाल राहत नहीं मिली है। ऐसे में अब राहुल पर गिरफ्तारी की तलवार लटकने लगी है। ऐसे में अब बड़ा सवाल ये है कि क्या अब राहुल गांधी को जेल जाना पड़ेगा? या राहुल के पास जेल से बचने के लिए अब कोई और विकल्प है? 


आपको बता दे गुजरात हाईकोर्ट न्यायमूर्ति हेमंत प्रच्छक ने कहा कि राहुल के खिलाफ कम से कम 10 आपराधिक मामले लंबित हैं। मौजूदा केस के बाद भी उनके खिलाफ कुछ और केस भी दर्ज हुए। ऐसा ही एक मामला वीर सावरकर के पोते ने दायर किया है। न्यायमूर्ति ने आगे कहा कि दोषसिद्धि से कोई अन्याय नहीं होगा। दोषसिद्धि न्यायसंगत एवं उचित है। पहले दिए गए आदेश में हस्तक्षेप करने की कोई आवश्यकता नहीं है। इसलिए आवेदन खारिज किया जाता है। तो क्या अब जेल जाएंगे राहुल गांधी? 

इसे मामले को अच्छी तरह समझने के लिए हमने अपने कुछ कानून के जानकारों और विशेषज्ञों व अधिवक्ताओं से मामले में बात की। और उनसे मिली जानकारी के अनुसार फिलहाल 'राहुल गांधी के पास अभी हाईकोर्ट की उच्च पीठ या फिर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने का विकल्प है। राहुल पहले बेल के लिए याचिका दायर करेंगे। अगर बेल की याचिका खारिज होती है तो जरूर उन्हें जेल जाना पड़ सकता है। वही अगर ऊपरी अदालत से भी राहत नहीं मिलती है तो ऐसे में 2024 लोकसभा चुनाव भी राहुल के लिए लड़ना मुश्किल हो जाएगा। राहुल फिर आठ साल तक कोई चुनाव नहीं लड़ जाएंगे। जानकर और अधिवक्तागण बताया कि ऐसा प्रकरण कोर्ट के सामने पहले भी आ चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने 2013 और 2018 के लिलि थॉमस और लोक प्रहरी मामले में कहा था कि अगर सजा निलंबित कर दी जाती है या अपीलीय अदालत दोषसिद्ध पर रोक लगा देती है तो जनप्रतिनिधि अधिनियम के तहत किसी जनप्रतिनिधि की अयोग्यता को पलटा जा सकता है। हालांकि इसके लिए जरूरी है कि अपीलीय अदालत भी अयोग्यता के फैसले को निलंबित कर दे।' सभी ने लक्षद्वीप के सांसद मोहम्मद फैजल के मामले का भी उदाहरण दिया। कहा कि कोर्ट ने मोहम्मद फैजल को हत्या के प्रयास मामले में 10 साल की सजा सुनाई थी। इसके बाद फैजल की संसद सदस्यता चली गई थी। फैजल ने निचली अदालत के खिलाफ केरल हाईकोर्ट का रूख किया था। कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले पर रोक लगा दी थी। इसके बाद फैजल की संसद सदस्यता भी बहाल हो गई थी। ऐसे में अगर राहुल गांधी के पक्ष में फैसला आ गया होता तो संभव था कि उनकी सदस्यता भी बहाल हो जाती। 

आपको याद दिला दे दरअसल 2019 में मोदी उपनाम को लेकर की गई टिप्पणी के मामले में 23 मार्च को सूरत की सीजेएम कोर्ट ने राहुल को दो साल की सजा सुनाई थी। हालांकि, कोर्ट ने फैसले पर अमल के लिए 30 दिन की मोहलत भी दी थी। 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान कर्नाटक के कोलार की एक रैली में राहुल गांधी ने कहा था, 'कैसे सभी चोरों का उपनाम मोदी है?' इसी को लेकर भाजपा विधायक और गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराया था। राहुल के खिलाफ आईपीसी की धारा 499 और 500 (मानहानि) के तहत मामला दर्ज किया गया था। 23 मार्च को निचली अदालत ने राहुल को दोषी ठहराते हुए दो साल की सजा सुनाई थी। इसके अगले ही दिन राहुल की लोकसभा सदस्यता चली गई थी। राहुल की अपना सरकारी घर भी खाली करना पड़ा था। निचली अदालत के इस फैसले के खिलाफ दो अप्रैल को राहुल ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। जस्टिस प्रच्छक ने मई में राहुल गांधी की याचिका पर सुनवाई करते हुए उन्हें अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया था। आज कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुनाया और राहुल की याचिका खारिज कर दी।