बड़ी खबरः RSS के 100 साल पूरे होने पर जश्न! संघ प्रमुख भागवत बोले- सशक्त और एकजुट हिंदू समाज ही देश की सुरक्षा, अखंडता की गारंटी

नई दिल्ली। गुरुवार को नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा विजयादशमी उत्सव के अवसर पर शस्त्र पूजा की गई। इस दौरान कार्यक्रम में मुख्य अतिथि पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी उपस्थित थे। अपने संबोधन के दौरान सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि वैश्विक चिंताओं के समाधान के लिए विश्व भारत की ओर देख रहा है। ब्रह्मांड चाहता है कि भारत उदाहरण प्रस्तुत करते हुए विश्व को राह दिखाए। उन्होंने कहा कि विविधता और हमारी संस्कृति का पूर्ण स्वीकार और सम्मान जो हम सभी को एक सूत्र में बांधती हैए वही राष्ट्रवाद है, जिसे हम हिंदू राष्ट्रवाद कहते हैं। यही हमारे लिए हिंदू राष्ट्रवाद है। हिंदवी, भारतीय और आर्य, ये सभी हिंदू के पर्यायवाची हैं। हमारे यहां कभी भी राष्ट्र-राज्य की अवधारणा नहीं रही। हमारी संस्कृति ही हमारे राष्ट्र का निर्माण करती है। राज्य आते.जाते रहते हैं, लेकिन राष्ट्र सदैव बना रहता है। यही हमारा प्राचीन हिंदू राष्ट्र है। हमने हर प्रकार के उत्थान-पतन देखे हैं, हमने गुलामी देखी है, हमने आज़ादी देखी है, लेकिन हम इन सबसे उबरकर आए हैं। इसीलिए एक सशक्त और एकजुट हिंदू समाज ही देश की सुरक्षा और अखंडता की गारंटी है। हिंदू समाज एक ज़िम्मेदार समाज है। हिंदू समाज हमेशा से हम और वे की इस मानसिकता से मुक्त रहा है।
आरएसएस के 100 वर्ष पूरे होने का जश्न
बता दें कि आरएसएस अपने संगठन के 100 वर्ष पूरे होने का जश्न मना रहा है। इस दौरान आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि ये वर्ष श्री गुरु तेग बहादुर जी के बलिदान का सढ़े तीन सौ वर्ष है। जिन्होंने अत्याचार, अन्याय और सांप्रदायिक भेदभाव से समाज के मुक्ती के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया और समाज की रक्षा की ऐसी एक विभूति उनका समरण इस वर्ष होगा। आज 2 अक्टूबर है तो स्वर्गीय महात्मा गांधी की जयंती है अपने स्वतंत्रता की लड़ाई में उनका योगदान अविस्मरणीय है। लेकिन स्वतंत्रता के बाद भारत कैसा हो उसके बारे में विचार देने वाले हमारे उस समय के दार्शनिक नेता थे उनमें उनका स्थान अग्रणीय हैं। जिन्होंने देश के लिए अपने प्राण दिए ऐसे स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री का आज जयंती है। भक्ति, देश सेवा के ये उत्तम उदाहरण हैं।