आवारा कुत्तों पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद छिड़ी बड़ी बहस! तीन मंत्रालयों ने राज्यों को जारी की एडवायजरी, डराते हैं कुत्तों के हमलों के आंकड़े

नई दिल्ली। अभी हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर के इलाकों से सभी आवारा कुत्तों को तुरंत हटाने और उन्हें शेल्टर होम भेजने का आदेश दिया है। इस मामले को लेकर जहां बड़ी बहस छिड़ी हुई है, वहीं डॉग लवर्स ने नाराजगी जताई है और इसको लेकर विरोध प्रदर्शन भी शुरू हो गए हैं। दिल्ली में कई जगहों पर डॉग लवर्स सड़कों पर उतर आए और प्रदर्शन किया। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार और गुरुग्राम, नोएडा, गाजियाबाद की नगर निकायों को आदेश दिया कि सभी आवारा कुत्तों को सड़कों से हटाकर शेल्टर होम्स में रखा जाए और इन्हें दोबारा सड़कों पर न छोड़ा जाए। यही नही कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर के नगर निकायों को 6 से 8 हफ्तों में कम से कम 5,000 कुत्तों के लिए शेल्टर तैयार करने का आदेश दिया है। इन शेल्टर्स में स्टेरलाइजेशन और वैक्सीनेशन के लिए पर्याप्त कर्मचा, सीसीटीवी निगरानी और भविष्य में विस्तार की सुविधा होनी चाहिए। कोर्ट ने यह भी कहा कि कुत्तों को छोड़ने की कोई गुंजाइश नहीं होगी। साथ ही डॉग बाइट की शिकायतों के लिए एक हेल्पलाइन शुरू करने का निर्देश दिया गया है। कोर्ट ने साफ कहा कि सभी आवारा कुत्तों को, चाहे स्टेरलाइज़्ड हों या नहीं, हटाया जाए। नगर निकायों को इस काम को अपने तरीके से करने की छूट दी गई है और जरूरत पड़े तो एक खास फोर्स भी बनाई जा सकती है। कोर्ट ने चेतावनी दी कि इस आदेश में रुकावट डालने वालों के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई होगी। कोर्ट के इस आदेश के बाद देशभर में एक बड़ी बहस छिड़ गयी है और डॉग लवर्स इसपर अपनी नाराजगी व्यक्त कर रहे हैं। दिल्ली में कुछ लोगों ने इस मामले को लेकर प्रदर्शन करते हुए कहा कि कुत्तों को शेल्टर होने में डालना गलत है उनका टीकाकरण करवाया जाए। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को अपने फैसले पर दोबारा से विचार करना चाहिए।
प्रदर्शनकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज
इस बीच मंगलवार को दिल्ली पुलिस ने इन प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए भारतीय न्याय संहिता की धारा 223 के एफआईआर दर्ज की है। पुलिस का कहना है कि कानून व्यवस्था के उल्लंघन के आधार पर ये रिपोर्ट दर्ज की गई है। पुलिस के मुताबिक प्रदर्शनकारियों से बार-बार इंडिया गेट पर एकत्र होकर प्रदर्शन न करने के लिए कहा गया था, बावजूद लोगों ने इस बात को अनसुना किया और हटाए जाने पर पुलिस से उलझ गए और उनके साथ धक्का-मुक्की शुरू कर दी।
70ः को सालभर में टीके लगेंगे, तीन मंत्रालयों ने राज्यों को जारी की एडवायजरी
सुप्रीम कोर्ट द्वारा आठ दिन में दिल्ली-एनसीआर की सड़कों से आवारा कुत्तों को सड़कों से हटाकर शेल्टर होम ले जाने के आदेश के बाद छिड़ी बहस के बीच नई जानकारी समाने आई है। केंद्र सरकार ने आवारा कुत्तों के काटने की घटनाएं बढ़ने और लावारिस पशुओं द्वारा आमजन को नुकसान पहुंचाने की घटनाओं पर चिंता जताई है। केंद्रीय आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय, पंचायती राज मंत्रालय और मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने ऐसे पशुओं पर नियंत्रण के लिए मास्टर एक्शन प्लान बनाया है। तीनों मंत्रालयों ने सभी राज्यों को एक एडवाइजरी भेजी है। इसमें कहा गया है कि देश में 1.53 करोड़ आवारा कुत्ते हैं। इनमें 70 प्रतिशत का वैक्सीनेशन व नसबंदी एक साल में करने का टारगेट रखा गया है।
कुत्तों के हमलों के डराने वाले आंकड़े
इस बीच सवाल ये उठ रहा है कि कोर्ट ने अचानक सुनवाई करके आवारा कुत्तों को हटाने के आदेश क्यों दिए? दरअसल पिछले कुछ वर्षों में आवारा कुत्तों में बढ़ते हमलों और रैबीज से मरने वाले लोगों की संख्या बढ़ी है। पिछले साल यानी साल 2024 में कुत्तों के काटने के 37 लाख 17 हजार 336 मामले सामने आए थे। इस मामलों में 54 लोगों की रेबीज की वजह से मौत हो गई थी। इसी साल जनवरी में ही कुत्तों के काटने के 4 लाख 29 हजार मामले सामने आए हैं। राज्यों के हिसाब से देखें तो जनवरी में सबसे ज्यादा करीब 56 हजार मामले महाराष्ट्र में हुए, इसके बाद गुजरात में करीब 54 हजार, तमिलनाडु में करीब 49 हजार, कर्नाटक में 39 हजार और बिहार में करीब 34 हजार सामने आए हैं। इस लिस्ट में और भी राज्य हैं। कुत्तों के काटने के मामले इसलिए बढ़े हैं क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में आवारा कुत्तों की संख्या भी बहुत तेजी से बढ़ी है। कुत्तों की संख्या को लेकर पिछली आधिकारिक गणना साल 2019 में हुई थी।
राहुल और मेनका गांधी ने उठाए सवाल
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और पूर्व भाजपा सांसद मेनका गांधी ने अपनी कड़ी प्रतिक्रिया दी है। पूर्व केंद्रीय मंत्री और पशु अधिकार कार्यकर्ता मेनका गांधी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले की कड़ी आलोचना की और इसे आर्थिक रूप से अव्यावहारिक और पारिस्थितिक संतुलन के लिए हानिकारक बताया। राहुल गांधी ने मंगलवार को एक्स पर ट्वीट किया और लिखा, ‘दिल्ली-एनसीआर से सभी आवारा कुत्तों को हटाने का सुप्रीम कोर्ट का निर्देश दशकों से चली आ रही मानवीय और विज्ञान-समर्थित नीति से एक कदम पीछने हटने जैसा है। राहुल ने अपने पोस्ट में आगे लिखा, ‘ये बेजुबान जीव कोई समस्या नहीं हैं, जिन्हें मिटाया जा सके। आश्रय, नसबंदी, टीकाकरण और सामुदायिक देखभाल सड़कों को बिना किसी क्रूरता के सुरक्षित रख सकते हैं। ब्लैंकेट रीमूवल क्रूर, अदूरदर्शी है। यह हमारी करुणा को खत्म करता है। हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि जन सुरक्षा और पशु कल्याण साथ-साथ चलें।’