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दक्षिणी हरियाणा में जलघर योजना से बदली तस्वीर! किसान बन रहे आधुनिक तकनीक के मिसाल

Water tank scheme has changed the picture in Southern Haryana! Farmers are becoming an example of modern technology

चंडीगढ़। कभी पानी की कमी से जूझने वाला दक्षिणी हरियाणा अब कृषि क्रांति की नई मिसाल पेश कर रहा है। प्रदेश सरकार की खेत-जलघर योजना और सूक्ष्म सिंचाई परियोजनाओं ने महेंद्रगढ़ जिले के किसानों की जिंदगी बदल दी है। अब किसान बारिश पर पूरी तरह निर्भर नहीं हैं, बल्कि ड्रिप और स्प्रिंकलर जैसी आधुनिक तकनीकों का सहारा लेकर कम पानी में अधिक पैदावार ले रहे हैं। महेंद्रगढ़ जिले के गांव बुडीन और दुलोठ के किसानों ने बताया कि सरकारी सब्सिडी से सार्वजनिक और निजी तालाब बनने के बाद सिंचाई आसान हो गई है। दुलोठ के किसान हितेश यादव का कहना है कि अब खेती परंपरागत तरीकों तक सीमित नहीं है। ड्रिप और स्प्रिंकलर सिस्टम से जहां फसल की उत्पादकता बढ़ रही है, वहीं पानी की बचत भी हो रही है। यह बदलाव केवल किसानों की आय तक सीमित नहीं है, बल्कि जल संरक्षण, ऊर्जा बचत और पर्यावरण संतुलन जैसे बड़े लक्ष्यों को भी पूरा कर रहा है। खेत-जलघर योजना के तहत सोलर पंपिंग सिस्टम से खेतों की सिंचाई की जा रही है। सभी किसानों के लिए सिंचाई का समय निर्धारित किया गया है और बारी-बारी से हर किसान अपने खेतों को पानी देता है। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत माइक्रो इरिगेशन कमांड एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी (मिकाडा) की पहल इस अभियान को गति दे रही है। इन तालाबों से खेतों तक पाइपलाइन बिछाकर किसानों को नियमित पानी उपलब्ध कराया जा रहा है। जूनियर इंजीनियर उत्तम सिंह ने बताया कि पहले किसान पानी की कमी के कारण एक फसल भी मुश्किल से ले पाते थे, लेकिन अब ड्रिप और स्प्रिंकलर सिस्टम से 40 से 60 प्रतिशत तक पानी की बचत हो रही है। इससे सिंचाई का खर्च घटा है और उपज में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। मिकाडा के एक्सईएन सोनित राठी ने कहा कि खेत-जलघर योजना केवल किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य नहीं रखती, बल्कि टिकाऊ और लचीली कृषि प्रणाली बनाने का प्रयास कर रही है। सही नीतियों और आधुनिक तकनीकों की मदद से सूखा और जल संकट जैसी चुनौतियों को अवसर में बदला जा सकता है।