ऑपरेशन सिंदूर पर विवादित बयान देने वाले प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद को सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार!इसे Dog Whistling कहते हैं, जो आपने चीप पब्लिसिटी के लिए की,जमानत पर क्या रुख रहा कोर्ट का और जांच पर क्या होगा आगे पढ़िए लिंक में

ऑपरेशन सिंदूर पर विवादित बयान देने वाले हरियाणा के सोनीपत स्थित अशोका यूनिवर्सिटी में राजनीति विज्ञान विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद को सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत पर रिहाई का आदेश तो दिया,लेकिन प्रोफेसर को सोशल मीडिया पोस्ट पर विवादित बयान देने पर जमकर फटकार भी लगाई है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर को लेकर किए गए पोस्ट में प्रोफेसर ने जो बातें लिखी हैं, उसे डॉग व्हिसलिंग कहते हैं. उन्होंने प्रोफेसर से पूछा है कि उन्हें इस चीप पब्लिसिटी की क्या जरूरत थी? आप जैसे विद्वान व्यक्ति के लिए ये तो नहीं कहा जा सकता कि आपके पास शब्दों की कमी पड़ गई। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने अली के वकील कपिल सिब्बल से कहा कि *श्रीमान सिब्बल आप अपनी शैक्षणिक योग्यता बहुत आसानी से समझ सकते हैं, इसे कानून की भाषा में Dog whistling कहा जाता है.अली के वकील कपिल सिब्बल से ये भी कहा कि यूं तो सभी को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार है लेकिन अली मेहमूदाबाद के बयान को कानून में डॉग व्हिस्लिंग कहते हैं। देश में हब इतना कुछ हो रहा है सामने बड़ी चुनौती आई है,जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि आतंकी आकर हमारे देश पर हमला करके चले जाते हैं,क्या ये समय है इन सबके बारे में बात करने का? देश पहले ही किस दौर से गुजर रहा है. कुछ आतंकी हमारे देश में आए और लोगों पर हमला कर दिया... हमें एकजुट होने की जरूरत है। नागरिकों पर हमले हुए तब समय अली सस्ती लोकप्रियता हासिल करने की कोशिश क्यों कर रहे हैं ?उनके शब्द अपमानजनक और दूसरों को असहज करने वाले थे।
दरअसल जब अली के वकील कपिल सिब्बल ने डिफेंड करते हुए ये कहा कि अली सशस्त्र बलों को सलाम कर रहा था तब जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि हम नहीं जानते,मुझे ये करने जा अधिकार है वो करने का अधिकार है,हर कोई अधिकार के बारे में बात करता है जैसे पूरा देश पिछले 75 सालों से अधिकारों का वितरण कर रहा था।
केस में जस्टिस सूर्यकांत की टिप्पणी इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, सामाजिक जिम्मेदारी और राष्ट्रीय संवेदनशीलता के बीच एक संतुलन की जरूरत पर बल देती है. जस्टिस सूर्यकांत के कमेंट अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आड़ में राष्ट्र के एक जिम्मेदार शख्स को उसकी नागरिक बोध वाली जिम्मेदारियों से मुक्त नहीं करते हैं.
गौरतलब है कि प्रोफेसर ने भारतीय सेना के ऑपरेशन सिंदूर पर एक सोशल मीडिया पोस्ट किया था, जिसे लेकर हरियाणा राज्य महिला आयोग ने उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई थी.उन पर आरोप है कि ऑपरेशन सिंदूर के बारे में उनके सोशल मीडिया पोस्ट से देश की संप्रभुता और अखंडता को खतरा पैदा हुआ। रविवार को प्रोफेसर को गिरफ्तार कर लिया गया और मंगलवार को जिला अदालत ने 27 तक अली खान को ज्यूडिशियल कस्टडी में भेजने का फैसला सुनाया।
कौन है अली महमूदाबाद
महमूदाबाद मोहम्मद आमिर मोहम्मद खान ‘सुलेमान’ के बेटे हैं, जिन्हें राजा साहिब महमूदाबाद के नाम से जाना जाता है, जिन्होंने अपने जीवन के लगभग 40 साल सरकार द्वारा शत्रु संपत्ति अधिनियम के तहत जब्त की गई अपनी पैतृक संपत्ति को वापस पाने के लिए कानूनी लड़ाई में बिताए।
उनकी संपत्तियों में लखनऊ के बीचों-बीच कई बड़े भूखंड शामिल हैं, जिनमें प्रतिष्ठित बटलर पैलेस, हजरतगंज बाजार का एक बड़ा हिस्सा, हलवासिया बाजार, महमूदाबाद किला शामिल हैं। इन सभी की कीमत कई हजार करोड़ रुपये है। महमूदाबाद परिवार की संपत्तियां लखनऊ, सीतापुर और उत्तराखंड के नैनीताल में फैली हुई हैं।
बता दें कि देश के मौजूदा चीफ जस्टिस बीआर गवई 23 नवंबर 2025 को रिटायर हो रहे हैं. वरिष्ठता के नियमों के आधार पर जस्टिस सूर्यकांत देश के अगले चीफ जस्टिस हो सकते हैं. वे 1 साल 2 महीने तक देश के चीफ जस्टिस रहेंगे. सामान्य गणना के आधार पर उनका कार्यकाल 24 नवबंर 2025 से 9 फरवरी 2027 तक होगा