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बयान पर बवालः जब-जब जुल्म होगा, तब-तब जिहाद होगा! मौलाना महमूद मदनी ने सरकार और मीडिया पर साधा निशाना, सुप्रीम कोर्ट पर भी उठाए सवाल

Statement sparks controversy: "Whenever there is oppression, there will be jihad!" Maulana Mahmood Madani targeted the government and media, and also questioned the Supreme Court.

नई दिल्ली। जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने एक ऐसा बयान दिया है, जिससे सियासी बवाल मच गया है। अपने इस बयान की वजह से वह एक बार फिर चर्चाओं में आ गए हैं। उन्होंने भोपाल में जिहाद और कोर्ट के फैसलों को लेकर बयान दिया और सरकार पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि बाबरी मस्जिद और तलाक के मामलों पर आए फैसलों से ऐसा लगता है कि अदालत सरकार के दबाव में काम कर रही है। उन्होंने कहा कि दुख की बात है कि पिछले कुछ सालों में खासकर बाबरी मस्जिद और तीन तलाक जैसे मामलों में आए फैसलों के बाद ये राय बन रही है कि अदालतें हुकूमत के दबाव में काम कर रही हैं। मौजूदा वक्त में वर्शिप एक्ट को नजअंदाज करते हुए ज्ञानवापी और मथुरा के मामलों की सुनवाई हो रही है। सुप्रीम कोर्ट उस वक्त तक ही सुप्रीम कहलाने का हक रखता है कि जब तक कि वो संविधान पर अमल कर रहा है। महमूद मदनी ने कहा कि इस्लाम और मुसलमानों के दुश्मनों ने जिहाद जैसी इस्लाम की पवित्र अवधारणा को दुर्व्यवहार, अव्यवस्था और हिंसा से जुड़े शब्दों में बदल दिया है।

लव जिहाद, लैंड जिहाद, तालीम जिहाद और थूक जिहाद जैसे जुमले इस्तेमाल करके मुसलमानों को गहरी ठेस पहुंचती है और उनके धर्म का अपमान होता है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार और मीडिया में जिम्मेदार पदों पर बैठे लोग भी ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करने में कोई शर्म महसूस नहीं करते। न ही उन्हें पूरे समुदाय को ठेस पहुंचाने की परवाह है। ये तो पुराने दौर से चला आ रहा है। कहीं पर कोई आतंकवादी घटना हो जाती है तो उसको जिहाद बता दिया जाता है। मुसलमानों के ऊपर गलत आरोप लगाए जाते हैं। जब-जब जुल्म होगा तब-तब जिहाद होगा। मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि एसआईआर भी चलाया हुआ है और यह एक बहुत ही अहम मामला है। अगर हम इस पर नजर रखेंगे तो हम निराशा से बच सकते हैं। मायूसी कौम के लिए जहर है और जिंदा कौम हो तो कहना ही क्या। देश के 60 प्रतिशत लोग चुप बैठे हुए हैं।