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राहतः चेक बाउंस मामले में सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला! आपसी समझौते से मिल सकती है जेल से राहत, हाईकोर्ट का आदेश पलटा

Relief: Important decision of Supreme Court in cheque bounce case! Relief from jail can be obtained by mutual agreement, High Court order overturned

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने चेक बाउंस के मामलों को लेकर एक अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि अगर आरोपी और शिकायतकर्ता आपस में समझौता कर लेते हैं तो आरोपी को जेल की सजा से बचाया जा सकता है। कोर्ट ने साफ किया कि एक बार समझौते पर साइन होने के बाद धारा 138 के तहत हुई सजा को बरकरार नहीं रखा जा सकता है। कोर्ट का यह फैसला लाखों लोगों को राहत देने वाला माना जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चेक dishonour मूल रूप से एक सिविल विवाद है जिसे आपराधिक मुकदमे के दायरे में लाया गया ताकि नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स की विश्वसनीयता बनी रहे। अदालत ने इसे एक पुराने फैसले का हवाला देते हुए “Civil Sheep in Criminal Wolfs Clothing” बताया, जिसका मतलब है कि यह निजी विवाद है लेकिन इसे आपराधिक ढांचे में शामिल किया गया है। यह फैसला तब आया जब सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के एक आदेश को रद्द किया। हाईकोर्ट ने समझौते के बावजूद सजा खत्म करने से इनकार कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब दोनों पक्ष आपसी सहमति से विवाद को निपटा चुके हैं तो अदालत को उस समझौते का सम्मान करना चाहिए और सजा को खत्म करना होगा। अदालत ने यह भी साफ किया कि नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट की धारा 147 के तहत चेक बाउंस का मामला किसी भी चरण पर निपटाया जा सकता है। यानी समझौता कार्यवाही के बीच या बाद में भी हो सकता है। अदालत ने कहा कि अगर समझौता स्वेच्छा से हुआ है तो दोषसिद्धि (Conviction) को बनाए रखना संभव नहीं है।