Awaaz24x7-government

FSSAI का बड़ा फैसलाः अब नहीं बिकेंगे ‘फेक ओआरएस’! 8 साल बाद हैदराबाद की महिला डॉक्टर ने जीती लड़ाई, जानें कौन हैं डॉ. शिवरंजनी संतोष

FSSAI's big decision: 'Fake ORS' will no longer be sold! After 8 years, a female doctor from Hyderabad has won her battle. Learn about Dr. Shivranjani Santosh.

नई दिल्ली। एफएसएसएआई ने बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर 14 अक्टूबर 2025 को एक बड़ा फैसला लेते हुए नॉन स्टैंडर्ड फूड प्रोडक्ट्स के ब्रांड नामों में ओरल रिहाइड्रेशन साल्ट्स (ओआरएस) शब्द के इस्तेमाल पर पूरी तरह से रोक लगा दी है। साथ ही आदेश दिया है कि अब सिर्फ विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से अप्रूव्ड फॉर्मूले वाले प्रोडक्ट्स पर ही ओआरएस लिखा जा सकेगा। इस जीत के पीछे हैदराबाद की बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. शिवरंजनी संतोष का आठ साल लंबा और बड़ा संघर्ष है। सोशल मीडिया पर उन्होंने जागरूकता अभियान चलाया। यह फैसला आने के बाद डॉक्टर शिवरंजनी काफी भावुक हो गईं। वायरल वीडियो में उन्होंने इस लड़ाई में साथ देने के लिए सभी का धन्यवाद दिया। डॉ. शिवरंजनी संतोष ने अपनी लड़ाई इसलिए शुरू की थी ताकि बाजार में बेचे जा रहे कई मीठे पेय और एनर्जी ड्रिंक्स को ओआरएस के रूप में गलत तरीके से लोगों के सामने लाने से रोका जा सके। इन मीठे प्रोडक्ट्स में अक्सर डब्ल्यूएचओ की लिमिट के अनुसार ग्लूकोज और नमक का सही रेश्यो नहीं होता और इनका ज्यादा मीठा होना बच्चों की हेल्थ के लिए हानिकारक हो सकता है। ओआरएस बच्चों और वयस्कों में डिहाईड्रेशन का इलाज करने का एक फार्मूला है। डब्ल्यूएचओ की लिमिट के अनुसार ओआरएस में सोडियम, पोटेशियम, क्लोराइड और ग्लूकोज का एक रेश्यो होता है, जो आंतों के पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स को ध्यान में रखकर बनाया जाता है। बाजार में कई कंपनियां अपने मीठे ड्रिंक्स को ओआरएस के नाम से बेच रही थीं, जिससे भ्रम पैदा होता था। माता-पिता अक्सर इन मीठे पेयों को असली ओआरएस समझकर इस्तेमाल करते थे, जिससे बच्चों की तबियत और बिगड़ जाती थी। डॉ. शिवरंजनी संतोष की इस जीत से बच्चों को इन भ्रामक प्रोडक्ट्स के इस्तेमाल से होने वाले नुकसान से बचाया जा सकेगा।