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ये कैसा न्याय?जीते जी 50 रुपए की रिश्वत का आरोप झेलते रहा TTE ,मरने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने दिया न्याय

What kind of justice is this? The TTE faced accusations of taking a bribe of ₹50 while he was alive; the Supreme Court delivered justice after his death.

वाह रे भारत की कानून व्यवस्था! सारी उम्र रिश्वत के आरोप की तोहमत झेलते रहा, आरोपी की मौत तक हो गई, लेकिन जीते जी कोर्ट से न्याय नहीं मिला। मरने के बाद कोर्ट ने आरोप की पुष्टि न होने पर बेदाग करार दे दिया।

मामला 31 मई 1988 का है। उस दिन ट्रेन में टिकट जांच के दौरान रेलवे विजिलेंस टीम ने टीटीई पर तीन यात्रियों से 50 रुपये रिश्वत लेने का आरोप लगाया। जांच में उनके पास 1254 रुपये अतिरिक्त मिले और ड्यूटी कार्ड में गड़बड़ी के भी संकेत पाए गए। 1989 में चार्जशीट दाखिल हुई और 1996 में उन्हें नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया।

2002 में सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल ने रेलवे के फैसले को पलटते हुए उनकी नौकरी बहाल करने का आदेश दिया। रेलवे ने इसे बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दी, जहां 2017 में ट्रिब्यूनल का आदेश रद्द कर दिया गया। लेकिन अब 2025 में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को खारिज कर टीटीई को पूरी तरह बरी कर दिया। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि रिश्वत के आरोप साबित नहीं हुए, क्योंकि एक यात्री की जांच ही नहीं हुई और बाकी दो यात्रियों ने भी आरोपों की पुष्टि नहीं की। इसलिए ट्रिब्यूनल का मूल फैसला सही था और बर्खास्तगी व जुर्माना रद्द करना उचित था।

इस लंबी न्याय यात्रा में 37 साल लग गए। सुनवाई दर सुनवाई, ट्रिब्यूनल से सुप्रीम कोर्ट तक का सफर तय हुआ, लेकिन फैसला आने से पहले ही अपीलकर्ता इस दुनिया से चले गए। जीते जी वे रिश्वतखोरी के कलंक से मुक्त नहीं हो पाए। अब कोर्ट ने उनके कानूनी वारिसों को तीन महीने के अंदर पेंशन और सभी बकाया आर्थिक लाभ देने का आदेश दिया है।