रक्षाबंधन 2025: कब मनाया जाएगा राखी का त्यौहार?कब होगा शुभ मुहूर्त?रक्षा धागा कितनी गांठों का होना चाहिए?जानिए लिंक में क्लिक करके

हर साल सावन महीने की पूर्णिमा पर राखी का त्योहार अर्थात रक्षाबंधन मनाया जाता है। यह पर्व भाई-बहन के प्रेम और विश्वास को समर्पित है। इस दिन सभी बहनें अपने भाई के सुखी जीवन और लंबी उम्र की कामना करते हुए उसकी कलाई पर राखी बांधती हैं। इस दौरान बहन राखी में तीन गांठ लगाती है, जिसका संबंध त्रिदेव यानी कि ब्रह्मा, विष्णु और भगवान शिव से होता है।
हिंदू धर्म में राखी के पर्व को कर्तव्य का त्योहार भी कहते हैं, क्योंकि इस दिन भाई अपनी बहन को जीवनभर उसकी रक्षा का वचन देता है और अपने कर्तव्यों का ध्यान रखते हुए बहनों की खुशियों का विशेष ध्यान रखता है। भारत ही नहीं बल्कि अन्य देशों में रक्षाबंधन को बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस बार 9 अगस्त 2025 को रक्षाबंधन है। अब जब भी बात रक्षाबंधन की होती है तब-तब ध्यान भद्रा का आता है कि क्या राखी पर भद्रा होगी ? तो आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
इस वर्ष श्रावण माह की पूर्णिमा तिथि 8 अगस्त को दोपहर 2 बजकर 12 मिनट से शुरू होगी। तिथि का समापन 9 अगस्त को शाम 5 बजकर 21 मिनट पर है। उदया तिथि के मुताबिक 9 अगस्त 2025 को सूर्यास्त तक रक्षाबंधन मनाया जाएगा।
ज्योतिषियों के मुताबिक इस वर्ष सावन की पूर्णिमा पर भद्रा सूर्योदय से पहले समाप्त होगी। यह 8 अगस्त को दोपहर 02 बजकर 12 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन सुबह 1 बजकर 52 मिनट पर समाप्त होगी। इस दिन सूर्योदय सुबह 5 बजकर 47 मिनट पर होगा। इसलिए इस साल राखी के त्योहार पर भद्रा का साया नहीं रहेगा।
क्या होगा राखी बांधने का शुभ समय ?
ज्योतिषियों के अनुसार इस साल राखी बांधने का शुभ मुहूर्त सुबह 5 बजकर 47 मिनट से शुरू होगा। यह मुहूर्त शाम 5 बजकर 21 मिनट तक बना रहेगा। इस बार रक्षाबंधन के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग बना रहेगा।
सौभाग्य योग: राखी पर सौभाग्य योग प्रात:काल से लेकर 10 अगस्त को तड़के 2 बजकर 15 मिनट तक है।
वहीं राखी पर शोभन योग का संयोग पर्व की महत्ता को और बढ़ा रहा है। यह 10 अगस्त को तड़के 2 बजकर 15 मिनट तक रहेगा। इसके अलावा ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4 बजकर 22 मिनट से 5 बजकर 04 मिनट तक रहेगा। अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 17 मिनट से 12 बजकर 53 मिनट तक है।
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं, ज्योतिष, पंचांग, धार्मिक ग्रंथों आदि पर आधारित है। यहां दी गई सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए आवाज़ इंडिया उत्तरदायी नहीं है।