सवाल तो उठेगाः 4 राज्यों के रहे राज्यपाल! फिर भी बिना राजकीय सम्मान के साथ हुआ अंतिम संस्कार! सोशल मीडिया पर छिड़ी बहस, लोग बोले- आखिर क्यों?

Questions will arise: He was the governor of 4 states! Yet his funeral was held without state honours! Debate broke out on social media, people said- why?

नई दिल्ली। पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ नहीं किए जाने के मामले में एक बड़ी बहस छिड़ गयी है। इस मामले को लेकर जहां सियासत गरमाई हुई है, वहीं लोगों में आक्रोश देखने को मिल रहा है। सोशल मीडिया पर भी इसको लेकर चर्चा होने लगी है और लोग भाजपा पर निशाना साध रहे हैं। गौरतलब है कि विगत 5 अगस्त को दिल्ली के राममनोहर लोहिया अस्पताल में इलाज के दौरान पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का निधन हो गया था। जिसके बाद बुधवार, 6 अगस्त को दिल्ली में उनका अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान विभिन्न राजनीतिक दलों और किसान संगठनों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। राजनीतिक दलों में कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी, जेजेपी व अन्य राजनीतिक दलों के नेता अंतिम संस्कार में शामिल हुए थे। वहीं कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी उन्हें श्रद्धांजलि दी। उनके अंतिम संस्कार में शामिल समर्थकों ने मीडिया के सामने कहा कि पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का न तो राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया और न ही बीजेपी का कोई बड़ा नेता मौजूद था। आप सांसद संजय सिंह ने सत्यपाल मलिक को बहादुर नेता बताया। उन्होंने कहा कि सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ मुखर आवाज बुलंद करने की ही सजा है कि मृत्यु के बाद भी उन्हें राजकीय सम्मान नहीं मिला।

वहीं सांसद चंद्रशेखर आजाद ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा और कहा कि अब सरकार ढूंढ कर लाए आखिर वो 2200 करोड़ रुपये कहा है। वहीं किसान संगठनों से जुड़े लोगों ने भी पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ न किए जाने पर सवाल उठाए और नाराजगी जताई।बता दें कि पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का जन्म 24 जुलाई 1946 को हुआ था। वह उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के हिसवाड़ा गांव के रहने वाले थे। उनका जन्म एक जाट परिवार में हुआ। उन्होंने मेरठ कॉलेज से विज्ञान स्नातक और LLB की डिग्री हासिल की। अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत उन्होंने 1968-69 में मेरठ कॉलेज के छात्रसंघ अध्यक्ष के रूप में की। 1974-77 तक वह उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य रहे और 1980 से 1989 तक राज्यसभा में उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया। 1989 से 1991 तक वह जनता दल के सदस्य के रूप में अलीगढ़ से 9वीं लोकसभा के सांसद रहे। सत्यपाल मलिक ने अगस्त 2018 से अक्टूबर 2019 तक जम्मू-कश्मीर के अंतिम राज्यपाल के रूप में कार्य किया। उनके कार्यकाल के दौरान 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का ऐतिहासिक फैसला लिया गया, जिसके बाद जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किया गया। इसके बाद वह बिहार और मेघालय के राज्यपाल भी रहे। उन्होंने 2019 के पुलवामा हमले में सुरक्षा चूक और किरू हाइड्रोपावर परियोजना में कथित भ्रष्टाचार के मुद्दों पर खुलकर बात की थी, जिसके कारण वह विवादों में भी रहे। वह भाजपा के बाद में प्रमुख आलोचक हो गए थे।

मैं रहूं, न रहूं पर मैं सच बताना चाहता हूं...

सत्यपाल मलिक 11 मई को किडनी की बीमारी के इलाज के लिए आरएमएल अस्पताल में भर्ती हुए थे। कुछ दिन पहले ही सत्यपाल मलिक ने सोशल मीडिया के जरिए अपनी बात कही थी। सत्यपाल मलिक ने कहा था कि मैं रहूं या न रहूं पर मैं सच बताना चाहता हूं। उन्होंने ये भी आरोप लगाए थे कि उन्हें सरकार किसी तरह से फंसाने में लगी हुई है। उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया था कि उनके पास धन दौलत होती तो वो प्राइवेट अस्पताल में इलाज कराते।