करवाचौथः बिना शब्दों के बहुत कुछ बयां करने वाला प्रेम का ‘मौन उत्सव’! जानें क्या है पूजा का मुहूर्त, कब निकलेगा चांद?

आवाज विशेषः कंचन वर्मा
भारत की संस्कृति में रिश्तों की डोर हमेशा से भावनाओं से बुनी गई है। इन्हीं रिश्तों में एक है पति-पत्नी का पवित्र बंधन, जिसे और मजबूत बनाता है करवाचौथ का व्रत। यह सिर्फ एक व्रत नहीं, बल्कि स्त्री की प्रेम, समर्पण और विश्वास की प्रतीकात्मक अभिव्यक्ति है। हर साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाने वाला यह पर्व, सदियों से भारतीय नारी के आस्था और निष्ठा का प्रतीक बन चुका है। इस साल करवाचौथ का व्रत कल शुक्रवार, 10 अक्टूबर को मनाया जा रहा है। यूं तो करवाचौथ को लेकर तमाम मान्यताएं हैं, लेकिन ‘करवा’ का अर्थ होता है मिट्टी का पात्र (कलश) और ‘चौथ’ का अर्थ है चतुर्थी तिथि। इस दिन सुहागिन स्त्रियां अपने पति की दीर्घायु, स्वास्थ्य और सुखमय जीवन के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। सूर्योदय से चांद के दर्शन तक बिना पानी और अन्न के व्रत रखना, उनके त्याग और आत्मबल का प्रतीक है। शाम को जब पूरा आकाश चांद की चांदनी से नहाया होता है, तब महिलाएं छलनी से चांद और अपने पति का दर्शन कर व्रत तोड़ती हैं। यह क्षण केवल रीति-रिवाज नहीं, बल्कि प्रेम का वह दृश्य है जिसमें आस्था और भावना का संगम होता है। करवाचौथ के पीछे कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। कहा जाता है कि सत्यवान और सावित्री की कथा, वीरवती की कहानी और महाभारत की द्रौपदी (अर्जुन कथा) इन सबने इस व्रत की महिमा को और बढ़ाया। एक कथा के अनुसार वीरवती नाम की रानी ने अपने सात भाइयों के कहने पर अधूरा व्रत तोड़ दिया था, जिससे उनके पति की मृत्यु हो गई। बाद में देवी पार्वती के आशीर्वाद से उसने पुनः व्रत कर अपने पति को जीवनदान दिलाया। तभी से यह परंपरा एक आस्था बन गई कि सच्चे मन से किया गया करवाचौथ व्रत पति की आयु बढ़ाता है।
आधुनिक युग में करवाचौथ की नई तस्वीर
समय के साथ करवाचौथ का स्वरूप भी बदल रहा है। आज की आधुनिक महिलाएं ऑफिस जाती हैं, करियर संभालती हैं, पर परंपराओं से उनका जुड़ाव अब भी गहरा है। अब यह व्रत समानता और साझेदारी का प्रतीक बन रहा है। कई जगह पुरुष भी अपनी पत्नियों के लिए उपवास रखते हैं, यह दिखाने के लिए कि प्रेम केवल एकतरफा नहीं, बल्कि परस्पर समर्पण है। सोशल मीडिया के दौर में करवाचौथ अब ‘फेस्टिव सेलिब्रेशन’ भी बन गया है। डिजाइनर साड़ी, मेंहदी, थीम पार्टी और फोटोशूट के साथ। लेकिन इसके बावजूद भावनात्मक मूल वही हैं प्रेम, वफादारी और एक-दूसरे के जीवन की कामना।
सजावट, श्रृंगार और उत्सव का रंग
सुबह ‘सरगी’ का सेवन सास द्वारा बहू को दिया जाता है, जो स्नेह और आशीर्वाद का प्रतीक है। दिनभर महिलाएं पूजा की तैयारी करती हैं। नई साड़ी, गहने, बिंदी, चूड़ियां, और मेंहदी से सजी हथेलियां इस पर्व को सौंदर्य का उत्सव बना देती हैं। शाम को करवा माता की पूजा होती है, जहां महिलाएं एक-दूसरे को करवा देती हैं और कहती हैं ‘सौभाग्यवती भव’। रात होते ही सबकी निगाहें आसमान की ओर होती हैं, जहां चांद के साथ उनके मन का चांद भी झलकता है।
प्रेम और विश्वास का शाश्वत पर्व
करवाचौथ भारतीय स्त्री की वह आस्था है जो समय, दूरी और परिस्थितियों से परे है। यह पर्व हमें याद दिलाता है कि किसी रिश्ते की सबसे बड़ी ताकत विश्वास होती है। आज जब दुनिया तेज़ी से बदल रही है, तब भी करवाचौथ अपने मूल अर्थ में उतना ही जीवंत है। प्रेम का मौन उत्सव, जो बिना शब्दों के भी बहुत कुछ कह देता है। करवाचौथ इस बात का प्रमाण है कि प्रेम सिर्फ बोलने से नहीं, निभाने से होता है और यही कारण है कि जब चांद निकलता है और एक स्त्री अपनी आंखों में चमक लिए उसे देखती है, तो वह सिर्फ अपने पति की दीर्घायु नहीं, बल्कि अपने रिश्ते की अनंतता की प्रार्थना कर रही होती है।
पूजा का मुहूर्त, जानें- कितने बजे निकलेगा चांद
जानकारों के मुताबिक इस साल करवा चौथ का व्रत सिद्धि योग, केतु योग, बुधादित्य योग में रखा जाएगा। शुक्रवार को कृतिका नक्षत्र होने से केतु योग बनता है, लेकिन सिद्धि योग, मित्र योग, बुधादित्य योग से यह पर्व और अधिक शुभ हो गया है। साथ ही सुबह 10ः30 से 12 बजे तक राहु काल है। राहु काल में पूजन करना शुभ नहीं माना जाता। ज्योतिष जानकारों के मुताबिक 10 अक्टूबर को करवा चौथ के दिन सुबह 10ः30 बजे से दोपहर 12 बजे तक राहुकाल रहेगा। राहुकाल की अवधि में पूजन नहीं करना चाहिए। इसके बाद दोपहर 1ः34 बजे से 4ः45 बजे तक मकर, कुंभ लग्न में करवा चौथ पूजन का शुभ मुहूर्त है। साथ ही शाम 5ः30 बजे से रोहिणी नक्षत्र आ जाएगा। चंद्रमा का उदय रात 8ः15 बजे होगा। इस समय उच्च के चंद्रमा होंगे और चंद्रमा को अर्घ्य देने का समय रात्रि 8ः15 बजे के बाद है। इसलिए रोहिणी नक्षत्र में उच्च की राशि में चंद्रमा के योग में चंद्रमा को दिया हुआ अर्घ्य पति की आयु को वृद्धि करता है।