कलयुगी आस्था या अंधभक्ति? यहां स्कूल में पढ़ने जाते हैं ‘भगवान श्रीकृष्ण’! एग्जाम हुए और नंबर भी मिले, एजुकेशन सिस्टम पर खड़े हुए सवाल

Kaliyugi faith or blind devotion? 'Lord Shri Krishna' goes to school here! Exams were held and marks were also obtained, questions raised on education system

इसे कलयुग की अंधी आस्था ही कहा जा सकता है कि अब ‘भगवान श्रीकृष्ण’ पढ़ने के लिए ‘स्कूल जा रहे हैं। जी हां! ये सच है। यूं तो समय-समय पर ऐसे अनोखे मामले सामने आते रहते हैं, लेकिन आगरा से एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसे सुनकर हर कोई हैरान है। यहां भगवान श्रीकृष्ण प्राइवेट स्कूल में पढ़ते हैं, होमवर्क भी करते हैं और एग्जाम भी देते हैं। इस मामले ने एजुकेश सिस्टम पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

खबरों के मुताबिक आगरा में एक ही परिवार की तीन महिलाएं लड्डू गोपाल का अपने बच्चों की तरह पालन पोषण कर रही हैं। तीनों ने अपने अपने लड्डू गोपाल के नाम केशव, माधव और राघव रखे हुए हैं। सबसे बड़े केशव का स्कूल में एडमिशन कराया गया है। इस साल वह नर्सरी क्लास में गए हैं। प्ले ग्रुप में केशव को 550 में 546 नंबर यानी 98.36 प्रतिशत मिले हैं। अन्य दोनों लड्डू गोपाल माधव और राघव का अगले साल एडमिशन कराया जाएगा। इन्हें पालने वाली परिवार की देवरानी-जेठानी सुबह बाकायदा इन्हें प्यार-दुलार से जगाती हैं। फिर स्कूल के लिए तैयार करती हैं और फिर टिफिन तैयार करती हैं। बच्चों की तरह उनसे स्कूल का होमवर्क कराया जाता है। हालांकि मूर्ति होमवर्क कैसे करती होगी ये सोचने का विषय है, इतना ही नहीं लड्डू गोपाल से एग्जाम भी दिलाए जाते हैं। प्ले ग्रुप में 550 में 541 नंबर यानी 98.36 फीसदी अंक मिले हैं। दो लड्‌डू गोपाल माधव और राघव का अगले साल एडमिशन कराए जाने की योजना है। जब केशव तीन साल के हुए तो अलका ने उन्हें घर पर ही पढ़ाना शुरू किया। पिछले साल केशव का एडमिशन मदर्स हार्ट पब्लिक स्कूल में कराया। अलका रोज केशव को पढ़ाती हैं। केशव स्कूल भी जाते हैं। उन्हें होमवर्क भी मिलता है और वो उसे पूरा भी करते हैं। हैरानी की बात ये है कि यह तीन महिलाएं अलका अग्रवाल, मीनू और रीमा हैं, जिनमे से अलका अग्रवाल खुद बेसिक स्कूल में शिक्षिका हैं।

यही नहीं हर साल बर्थडे पर रिश्तेदारों और पड़ोस के लड्डू गोपाल भी बुलाए जाते हैं। तीनों भाई एक जैसे कपड़े पहनकर घर के कार्यक्रमों में शामिल होते हैं। तीनों महिलाएं खुद को यशोदा बनाकर लड्डू गोपाल को पाल रही हैं। तीनों महिलाओं के अपने भी बच्चे हैं। अलका की बड़ी बेटी पीएचडी कर रही है, दूसरी बेटी आर्किटेक्ट हैं। बेटा दसवीं कक्ष में है। मीनू के जुड़वा बच्चे हैं, बेटा कोचिंग क्लासेज चलाता है और बेटी की शादी हो चुकी है। वहीं रीमा का एक बेटा मेडिकल और दूसरा इंजीनियरिंग फील्ड में है।

फिलहाल यह मामला खासा सुर्खियों में है और इसपर कई सवाल उठ रहे हैं। लोगों का मानना है कि इस तरह आस्था से खिलवाड़ ठीक नही है,श्री कृष्ण 64 कलाओं के ज्ञाता था,महाभारत में उन्होंने गीता का ज्ञान  दिया था,वो सृष्टि के रचियाताओ  में से एक देवता माने जाते हैं,देवी देवताओं की मूर्ति  पूजा करने का एक माध्यम मात्र है,मूर्ति को स्कूल भेजना और एग्जाम में पास कर देना कितना सही है ?

इस पूरे मामले ने एजुकेशन सिस्टम पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। हैरानी की बात ये है कि पहले तो स्कूल में मूर्ति का एडमिशन हो जाता है, फिर एग्जाम भी दिलाया जाता है और नंबर भी मिल जाते हैं, आखिर कैसे? और इसी तरह अगर मूर्तियां एग्जाम में पास होती रहेंगी तो क्या उन्हे बोर्ड्स एग्जाम में भी बैठने की अनुमति मिल जाएगी?