कलयुगी बेटाः चांदी के कड़ों के लिए रोक दिया ‘मां’ का अंतिम संस्कार! चिता पर लेटकर करने लगा ड्रामा, श्मशान में ही मंगाने पड़े गहने

Kaliyug son: Stopped his mother's last rites for silver bangles! Started doing drama by lying on the pyre, had to order jewelry at the crematorium itself

नई दिल्ली। राजस्थान के जयपुर से एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने हर किसी को झंकझोर कर रख दिया। यहां एक कलयुगी बेटे ने अपनी मां के अंतिम संस्कार में ऐसा ड्रामा किया, जिसे देख और सुनकर हर कोई हैरान रह गया। 

दरअसल जयपुर ग्रामीण के विराटनगर में 80 वर्षीय छीतर रेगर की मृत्यु के बाद उसकी देह अंतिम संस्कार के लिए श्मशान घाट लाई गई। यहां मौजूद लोगों ने अंतिम संस्कार की तैयारियां पूरी कर लीं और रस्म शुरू हो गए। तभी चांदी के कड़ों के लिए मृत महिला का बेटा चिता पर लेट गया और अंतिम संस्कार रोक दिया। यह घटना बीते 3 मई की बताई जा रही है, जिसका वीडियो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। बताया जाता है कि अंतिम संस्कार के समय मुख्य लोगों ने शव को चिता पर रखने से पहले महिला के श्रृंगार के गहने उसकी सेवा करने वाले बड़े बेटे गिरधारी लाल को सौंप दिए। यह देख उसका छोटा भाई ओमप्रकाश बिफर पड़ा और चिता पर लेट कर कहने लगा कि पहले मां की चांदी की कड़ियां दो, ऐसा नहीं करोगे तो यहां से उठूंगा नहीं, खुद भी जल मरूंगा।

श्मशान घाट में बेटे की इस करतूत को देख रिश्तेदार, परिवार और समाज के लोगों ने उसे समझाया कि ऐसा मत कर, मां का अंतिम संस्कार होने दे, लेकिन बेटा काफी देर तक नहीं माना और न ही किसी की बात सुनी। फिर जबरदस्ती लोगों ने उसे चिता से उठाया, तो वह उसी पर बैठ गया। आखिर में जब चांदी के कड़े ओमप्रकाश को मिले तब जाकर दो घंटे बाद महिला का अंतिम संस्कार हो सका। अब दिलों को अंदर तक झकझोर देने वाले इस दृश्य का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। यही नहीं बताया जाता है कि गुरुवार को तेरहवें की धूप लगाई गई, लेकिन श्मशान घाट पर जग हंसाई का पात्र बना यह बेटा ओमप्रकाश धूप की रस्म में भी शामिल नहीं हुआ। ग्रामीणों के अनुसार ओमप्रकाश और उसके अन्य भाइयों के बीच पिछले कुछ सालों से संपत्ति को लेकर विवाद चल रहा है। इसी के चलते ओमप्रकाश गांव के बाहर अलग घर में रहता है और खुद को परिवार से अलग.थलग महसूस करता है। इसी मनमुटाव के कारण उसने मां के निधन के दिन श्मशान घाट में जग हंसाई करवाई।