झारखंड: भाजपा नहीं तोड़ पाई सुरक्षित सीटों का तिलिस्म! इंडिया ब्लॉक ने 37 सीटों में से 32 पर जमाया कब्जा,भारी पड़ा आदिवासी अस्मिता का दांव

Jharkhand: BJP could not break the magic of reserved seats! India Block captured 32 out of 37 seats, the tribal identity proved to be a burden

झारखंड विधानसभा चुनाव में भाजपा के तिहरे-भूमि, लव और वोट जिहाद के मुद्दे के मुकाबले झामुमो का आदिवासी अस्मिता का दांव भारी पड़ा। झामुमो की अगुवाई में इंडिया ब्लॉक सुरक्षित सीटों पर पुराना प्रदर्शन दोहराने और सोरेन सरकार की मइया सम्मान योजना के जरिये महिला मतदाताओं को साध कर सत्ता बरकरार रखने में कामयाब रही। विपक्षी ब्लॉक ने 37 सुरक्षित सीटों में से 32 पर कब्जा कर भाजपा के सत्ता हासिल करने के सपने पर पानी फेर दिया।


भाजपा ने हिंदुत्व के साथ आदिवासी-दलित वोट बैंक में सेंध लगाने की रणनीति बनाई थी। झामुमो के आदिवासी वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए पार्टी ने झामुमो संस्थापक शिबू सोरेन की बड़ी बहू सीता सोरेन, उनके करीबी पूर्व सीएम चंपई सोरेन को साधा था। इसके अलावा ओबीसी और अगड़े मतदाताओं के साथ ही आदिवासी वर्ग को साधने के लिए भूमि जिहाद, लव जिहाद और वोट जिहाद को मुद्दा बनाया था। बावजूद इसके पार्टी न तो सुरक्षित सीटों पर अपना प्रदर्शन सुधार पाई और न ही सामान्य सीटों पर ही कमाल दिखा पाई। भाजपा की रणनीति के जवाब में झामुमो ने लोकसभा चुनाव की तर्ज पर आदिवासी अस्मिता के साथ महिलाओं को साधने की रणनीति बनाई। इसके जरिये गठबंधन ने एसटी सुरक्षित 28 में से 27 सीटों पर जीत दर्ज की। इसके अलावा एससी सुरक्षित नौ सीटों में से पांच पर अपना कब्जा जमाया। अंत्योदय वर्ग की महिलाओं के लिए मइया सम्मान योजना ने आधी आबादी पर व्यापक प्रभाव डाला। गौरतलब है कि इस चुनाव में राज्य की 85 फीसदी सीटों पर महिलाओं ने पुरुषों के मुकाबले अधिक मतदान किया था। यह पैटर्न भी इंडिया ब्लॉक के पक्ष में रहा।

लोकसभा चुनाव से पूर्व भ्रष्टाचार के मामले में सीएम हेमंत सोरेन के जेल जाने के कारण आदिवासी वर्ग में उनके प्रति सहानुभूति थी। इसके कारण इंडिया गठबंधन राज्य में लोकसभा की सभी पांच सुरक्षित सीटें जीतने में कामयाब रहा। इसके अलावा आदिवासी वर्ग को पता था कि इंडिया ब्लॉक की जीत के बाद उनकी बिरादरी के हेमंत ही सीएम होंगे, जबकि भाजपा में भले ही इस वर्ग के कई दिग्गज नेता मसलन अर्जुन मुंडा, बाबू लाल मरांडी हैं, मगर पार्टी ओबीसी वर्ग को साधे रखने के लिए आदिवासी वर्ग का सीएम बनाने का संदेश देने से बचती रही। चूंकि भाजपा 2014 में आदिवासी वर्ग की जगह पिछड़ा वर्ग के रघुबर दास को सीएम बना चुकी थी, ऐसे में इस वर्ग में झामुमो का आदिवासी अस्मिता का दांव काम कर गया। झारखंड गठन के बाद 81 सदस्यीय राज्य विधानसभा में एक दल का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन भाजपा के नाम है, जिसने 2014 के चुनाव में 37 सीटें जीती थीं।  कांग्रेस ने पिछले चुनाव में 16 सीटें जीत अब तक का अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया था। ‘इंडिया’ की जीत और आदिवासी अस्मिता के दांव को मजबूत बनाने में हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना का मजबूत योगदान रहा। कल्पना ने हेमंत के इतर अपने स्तर पर कई जनसभाएं कीं। इसका असर न सिर्फ आदिवासी वर्ग पर बल्कि महिला मतदाताओं पर भी पड़ा। जनसभाओं में कल्पना ने आदिवासी नेतृत्व खत्म करने की साजिश को बड़ा मुद्दा जोरशोर से उठाया। भाजपा के पास उनके जैसा विकल्प नहीं था।