आजादी के सात दशक बाद भी नहीं नसीब हुई पक्की सड़क, ग्रामीणों ने सड़क न बनने पर चुनाव बहिष्कार का किया ऐलान

उत्तराखंड के चंपावत जनपद एक गांव के लिए आजादी के सात दशक बाद भी सड़क नहीं बन पाई है। आदर्श चंपावत जिले के इस गांव के लोग आजाद तो गए लेकिन इन्हें आज़ादी नहीं मिल पाई। ये हैरान होने की बात नहीं है बल्कि ये सरकारी तंत्र की नाकामी का जीता-जागता सुबूत है ।
बात उत्तराखंड के चम्पावत जिले के एक ऐसे गांव की जहाँ आजादी के 77 साल बाद भी सड़क का अभाव है। यहाँ के लोगों को आजादी तो मिल गई लेकिन इनके पावों से कठिन परिस्थितियों की बेड़ियां नहीं खुल पाई। आदर्श चम्पावत जिले के पाटी विकासखंड की ग्राम पंचायत गागर के रज्यूडा और साला तोक की। यहाँ के लोग आज भी सड़क का इंतजार कर रहे हैं। सरकारें आती रही जाती रही, नेताजी आते रहे और जाते रहे लेकिन रज्यूडा और साला तोक की न तस्वीर बदली और ना यहां के लोगों की तकदीर। आजादी के 7 दशक बाद भी यहां के लोग सड़क की राह देख रहे हैं। आज भी यहाँ 6 किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई पार करने के बाद लोग सड़क तक पहुंचते हैं। ग्रामीणों का कहना है नेता चुनाव के वक्त सड़क बनाने का झूठा वादा तो करते हैं लेकिन फिर उन्हें भूल जाते हैं। उनकी शुध ना तो सरकार लेती है ना स्थानीय जनप्रतिनिधि। गांव के बुजुर्ग कहते हैं कि सड़क के अभाव में उन्होंने टमाटर की खेती करना छोड़ दिया है। उनका कहना है अगर सरकार सड़क बनाती है तो वो फिर से खेती की ओर रूख करेंगे। आजादी के 7 दशक बाद भी उत्तराखंड के गावों में सड़क न होना एक बड़ी समस्या है। सरकार कहती है पलायन रोकने के लिए योजनाओं को संचालित किया जा रहा है,लेकिन समझ नहीं आता है कि आंखिर इन गावों की सुध क्यों नहीं ली जा रही। लेकिन वही इस बार ग्रामीण आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं । रज्यूडा और साला के लोगों ने एक बैठक का आयोजन कर आगामी चुनाव बहिष्कार की बात कही है। ग्रामीणों का साफ कहना है,अगर उन्हें 6 किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई पार करने के बाद वोट देना पड़ेगा तो इस बार चुनाव बहिष्कार करेंगे।