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बड़ी खबरः नेशनल स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल में संशोधन! RTI के दायरे में नहीं आएगा बीसीसीआई, जानें क्यों हुआ बदलाव?

Big news: Amendment in National Sports Governance Bill! BCCI will not come under the purview of RTI, know why the change happened?

नई दिल्ली। नेशनल स्पोटर््स गवर्नेंस बिल में संशोधन किया गया है। इस संशोधन के बाद भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) सूचना के अधिकार अधिनियम (आरटीआई) से बाहर रहेगा। इसके लिए केंद्रीय खेल मंत्रालय ने आरटीआई अधिनियम के एक प्रावधान का हवाला दिया है। ऐसा इसलिए क्योंकि बीसीसीआई की तरफ से खेल मंत्रालय से कोई अनुदान नहीं लिया जाता है। बीसीसीआई के अलावा जो भी खेल महासंघ जो सरकारी अनुदान नहीं लेंगे, वे आरटीआई के दायरे से बाहर रहेंगे। जब विधेयक 23 जुलाई को संसद में पेश किया गया था तो इसमें खंड 15 (2) में एक प्रावधान था। यह सुनिश्चित करता था कि राष्ट्रीय खेल विधेयक द्वारा मान्यता प्राप्त सभी खेल निकायों को सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत पब्लिक अथॉरिटी माना जाएगा। हालांकि कुछ रिपोर्ट्स के माध्यम से पता चला है कि खंड को एक संशोधन के माध्यम से विधेयक से हटा दिया गया है। इस खंड में कहा गया था कि एक मान्यता प्राप्त खेल संगठन को इस अधिनियम के तहत अपने काम, ड्यूटी और शक्तियों के प्रयोग के संबंध में सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत पब्लिक अथॉरिटी माना जाएगा। इस प्रावधान के रहने पर हर राष्ट्रीय खेल महासंघ आरटीआई अधिनियम के दायरे में आ जाता। बीसीसीआई हमेशा इस अधिनियम के दायरे में आने का विरोध करता रहा है। बोर्ड यह तर्क देता है कि वह अन्य खेल शासी निकायों की तरह सरकारी धन पर निर्भर नहीं है। आरटीआई अधिनियम में ‘पब्लिक अथॉरिटी’ को संसद या राज्य विधानमंडल द्वारा बनाए गए कानून से बने किसी भी संस्था या निकाय के रूप में परिभाषित किया गया है। इसमें सरकार के स्वामित्व, नियंत्रित या पर्याप्त रूप से धन प्राप्त करने वाले निकाय शामिल हैं। इस मामले में ‘पर्याप्त रूप से धन प्राप्त’ करना मुख्य शब्द है। संशोधन में एक नया खंड जोड़ा गया है। इसमें कहा गया है कि उप-धारा (1) के तहत केंद्र या राज्य सरकार से अनुदान या कोई अन्य वित्तीय सहायता प्राप्त करने वाले मान्यता प्राप्त खेल संगठन को सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के तहत एक पब्लिक अथॉरिटी माना जाएगा। 

क्यों हुआ बदलाव

इस बदलाव के बाद सभी एनएसएफ आरटीआई अधिनियम के अंतर्गत आएंगे, लेकिन उन्हें केवल सरकारी सहायता और अन्य वित्तीय सहायता से संबंधित प्रश्नों का उत्तर देना होगा। पहले एनएसएफ के चयन सहित काम और शक्तियों पर प्रश्न पूछने की अनुमति थी। खेल मंत्रालय के एक सूत्र ने मीडिया को बताया, “संशोधन से यह सुनिश्चित होगा कि हम आरटीआई अधिनियम का उल्लंघन न करें। इस संशोधन के साथ हमने पब्लिक अथॉरिटी को सरकारी धन और सहायता पर निर्भर संस्था के रूप में परिभाषित किया है। हमने विधेयक से वह अस्पष्टता हटा दी है जिसके कारण इसे रोका जा सकता था या अदालत में चुनौती दी जा सकती थी।”