Big Breaking: भाजपा और आरएसएस के रिश्तों पर खुलकर बोले संघ प्रमुख भागवत! मतभेद हो सकते हैं, मनभेद बिल्कुल नहीं..., भाजपा अध्यक्ष के चयन को लेकर कही बड़ी बात

नई दिल्ली। संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भाजपा और संघ के रिश्तों को लेकर एक बड़ा बयान जारी किया है। उन्होंने कहा कि बीजेपी और संघ में मतभेद हो सकते हैं, मनभेद कभी नहीं। संघ प्रमुख भागवत ने ये भी कहा है कि केंद्र और राज्य की सभी सरकारों के साथ संघ का समन्वय रहता है। किसी विषय पर संघ सलाह दे सकता है, लेकिन निर्णय बीजेपी का है। उन्होंने कहा कि हम तय करते तो इतना समय लगता क्या। बता दें कि बीते कुछ समय से ऐसी अटकलें लगाई जा रही थीं कि संघ और भाजपा के बीच तनाव चल रहा है। इस दौरान उन्होंने शिक्षा और सामाज को लेकर कई बातें कहीं। उन्होंने कहा कि कोई भी तकनीक आती है, तो उसको मनुष्य के हित के लिए उपयोग करना और उसके दुष्परिणाम से बचना होगा, जिससे तकनीकी मनुष्य का मालिक न बन जाए। इसीलिए शिक्षा जरूरी है। उन्होंने कहा कि सुशिक्षा सिर्फ लिटरेसी नहीं है। शिक्षा उसे कहते हैं, जिससे मनुष्य वास्तविक मनुष्य बने। ऐसी शिक्षा से मनुष विष को भी दवाई बना लेता है।
वहीं संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि मैं शाखा चलाने में माहिर हूं, भाजपा सरकार चलाने में माहिर है। हम एक-दूसरे को सिर्फ सुझाव दे सकते हैं। भाजपा के नए अध्यक्ष के फैसले में हो रही देरी पर आरएसएस प्रमुख भागवत ने चुटकी लेते हुए कहा कि आप अपना समय लें, हमें कुछ कहने की जरूरत नहीं है। शिक्षा पर बाते करते हुए उन्होंने कहा कि धार्मिक विश्वास कुछ भी हो सकता है लेकिन शिक्षा की सामाजिक मान्यताएं एक होनी चाहिए और मदरसा हो मिशनरी, सब जगह पढ़ाया जाना चाहिए। अंग्रेजी भी पढ़नी चाहिए। हर भाषा की अपनी लंबी परंपरा है जिसमें अच्छे साहित्य हैं। शिक्षा की मुख्य धारा को गुरुकुल पद्धति की तरफ मोड़ना चाहिए। इसी तरह की पढ़ाई फिनलैंड में होती है जो शिक्षा की व्यवस्था में दुनिया में सबसे अच्छी है और आठवीं तक मातृभाषा में पढ़ाई होती है। संस्कृत का कामचलाऊ ज्ञान भारत को समझने वाले सभी व्यक्ति को होना चाहिए। लेकिन अनिवार्य बनाने की जरूरत नहीं है वरना रिएक्शन होता है।