अंबानी के वनतारा को सुप्रीम कोर्ट से मिली क्लीनचिट! कहा- इसमें कुछ भी गलत नहीं, जानें कितने एकड़ में फैला है वनतारा और कितना होता है खर्च?

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने वनतारा पर लगे सभी आरोपों को खारिज करते हुए उसे क्लीन चिट दे दी है। कोर्ट ने सोमवार को कहा कि अगर तय प्रक्रिया का पालन किया गया है तो हाथियों को रिलायंस फाउंडेशन के वनतारा में भेजने में कोई गलती नहीं है। अदालत गुजरात स्थित इस वाइल्डलाइफ फैसिलिटी में हाथियों के स्थानांतरण को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। शीर्ष अदालत की पीठ ने नोट किया कि इस मामले की जांच के लिए बनाई गई समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है और उसमें नियामकीय अनुपालन पर संतोष व्यक्त किया गया है। अदालत ने कहा कि अगर वनतारा वन विभाग से हाथियों को अपने संरक्षण में लेता है और पूरी प्रक्रिया का पालन होता है, तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है। हमारे द्वारा गठित एसआईटी ने बताया है कि सभी संबंधित प्राधिकरण अनुपालन और नियमों से संतुष्ट हैं।
अनंत अंबानी के वनतारा का पक्ष रखते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा कि आपत्तियां वे देश उठा रहे हैं जो शिकार की अनुमति देते हैं, सिर्फ इसलिए कि भारत कुछ अच्छा कर रहा है। उन्होंने जोर दिया कि रिलायंस फाउंडेशन का वाइल्डलाइफ सेंटर सुप्रीम कोर्ट की समिति के साथ पूरी तरह सहयोग कर रहा है और अपना स्टाफ उपलब्ध करा रहा है, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि रिपोर्ट में कुछ गोपनीय जानकारियां हैं जिन्हें सार्वजनिक नहीं किया जाना चाहिए। जजों ने कहा कि हम रिपोर्ट को देखेंगे और अगर किसी कार्रवाई की जरूरत होगी तो आदेश पारित करेंगे। समिति ने अपना काम समय पर किया है, हम इसकी सराहना करते हैं। अदालत ने स्पष्ट किया कि वह शुरू से दखल देने के पक्ष में नहीं थी, लेकिन आरोप सामने आने के बाद जांच का आदेश दिया गया।
बता दें कि वनतारा गुजरात के जामनगर स्थित लगभग 3500 एकड़ का दुनिया का सबसे बड़ा पशु बचाव, पुनर्वास और संरक्षण केंद्र है। इसका प्रबंधन उद्योगपति मुकेश अंबानी के बेटे अनंत अंबानी करते हैं। यह अनंत का ड्रीम प्रोजेक्ट है। अनंत ‘जीव सेवा’ (पशु देखभाल) की भावना के साथ इसकी शुरुआत की है। इसका लक्ष्य घायल जानवरों को बचाना, उनका इलाज करना और लुप्तप्राय प्रजातियों का संरक्षण करना है। वनतारा का उद्देश्य लुप्तप्राय प्रजातियों को बचाना और उनके आवासों को पुनस्र्थापित करना है। यहां जानवरों की देखभाल के लिए हजारों कर्मचारी और डॉक्टर मौजूद हैं। इस पर हर साल 150-200 करोड़ रुपये खर्च होते हैं। अनंत खुद इसकी मॉनिटरिंग करते हैं, इसे जानवरों का ताजमहल कहा जाता है।