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 हरियाणा में बायोगैस से जगमगाएंगे गांव और शहर, सरकार दे रही आकर्षक सब्सिडी

Villages and cities will be lit up with biogas in Haryana, government is giving attractive subsidy

चंडीगढ़। हरियाणा अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण (HAREDA) के सहयोग से प्रदेश सरकार ने बायोगैस उपयोग कार्यक्रम को तेजी से आगे बढ़ाने की दिशा में ठोस कदम उठाए हैं। स्वच्छ, प्रदूषण मुक्त और किफायती ऊर्जा के रूप में बायोगैस को ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में प्रोत्साहित करने के लिए अब सब्सिडी योजना लागू की गई है। इस पहल का उद्देश्य न केवल पर्यावरण संरक्षण है, बल्कि किसानों, गौशालाओं और ग्रामीण संस्थानों को ऊर्जा आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर करना भी है। सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि बायोगैस 55 से 70 प्रतिशत मीथेन गैस से युक्त होती है और इसे गोबर गैस संयंत्रों के माध्यम से पशुओं के गोबर और अन्य जैविक पदार्थों से तैयार किया जाता है। यह ईंधन धुंआ रहित और पर्यावरण के अनुकूल होने के साथ-साथ एलपीजी का विकल्प भी प्रदान करता है।

हरियाणा में लगभग 7.6 मिलियन पशुधन मौजूद है, जिनसे प्रतिदिन करीब 3.8 मिलियन घन मीटर बायोगैस उत्पन्न करने की क्षमता है। यह मात्रा लगभग 300 मेगावाट विद्युत उत्पादन में सहायक हो सकती है। प्रवक्ता ने बताया कि शुद्धिकरण के बाद इस गैस को बायो-सीएनजी के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है, जो परिवहन क्षेत्र के लिए भी एक स्वच्छ ईंधन सिद्ध होगा। राज्य सरकार द्वारा गौशालाओं, डेयरियों और संस्थागत इकाइयों को बायोगैस संयंत्र लगाने के लिए विशेष प्रोत्साहन दिया जा रहा है। इसके तहत 25 से 85 घन मीटर क्षमता वाले संयंत्रों पर 1 लाख 27 हजार रुपये से लेकर 3 लाख 95 हजार रुपये तक की आर्थिक सहायता दी जा रही है। अब तक प्रदेश में 114 बायोगैस संयंत्र स्थापित किए जा चुके हैं, जिनसे ग्रामीण क्षेत्रों में ऊर्जा आपूर्ति के साथ-साथ जैविक खाद भी उपलब्ध हो रही है।

बायोगैस पावर (ऑफ ग्रिड) उत्पादन कार्यक्रम के अंतर्गत पशु अपशिष्ट से प्राप्त गैस का उपयोग बिजली उत्पादन के लिए भी किया जा रहा है। इस योजना में 3 किलोवाट से लेकर 250 किलोवाट क्षमता वाले संयंत्रों की स्थापना पर केंद्र सरकार 15 हजार से 40 हजार रुपये प्रति किलोवाट तक सब्सिडी प्रदान कर रही है। इससे छोटे पैमाने पर ग्रामीण बिजली संयंत्रों की स्थापना को प्रोत्साहन मिलेगा, जिससे दूर-दराज़ के क्षेत्रों में भी ऊर्जा आपूर्ति सुनिश्चित हो सकेगी। इच्छुक व्यक्ति या संस्थान इस योजना का लाभ उठाने के लिए संबंधित जिले के अतिरिक्त उपायुक्त कार्यालय में निर्धारित प्रपत्र के साथ आवेदन कर सकते हैं। संयंत्र की स्थापना भारतीय खादी और ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) की स्वीकृत ड्रॉइंग के अनुसार लाभार्थी स्वयं करेगा। परियोजना को छह माह के भीतर पूरा करना अनिवार्य है। आवेदन प्रक्रिया ‘पहले आओ, पहले पाओ’ के आधार पर होगी, हालांकि गौशालाओं और धार्मिक संस्थानों को प्राथमिकता दी जाएगी। बायोगैस संयंत्र न केवल रसोई गैस और बिजली का विकल्प उपलब्ध कराएंगे, बल्कि गोबर से तैयार होने वाले स्लरी के रूप में किसानों को जैविक खाद भी उपलब्ध कराएंगे। इससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ेगी और रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता कम होगी। साथ ही, ग्रामीण युवाओं के लिए बायोगैस संयंत्रों की स्थापना, संचालन और रख-रखाव के क्षेत्र में रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे। प्रदेश सरकार की यह पहल हरियाणा को हरित ऊर्जा की दिशा में अग्रणी राज्य बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकती है। प्रवक्ता ने कहा कि यदि प्रदेश की पशुधन क्षमता का सही उपयोग किया जाए तो हरियाणा ऊर्जा आत्मनिर्भरता की राह पर तेजी से आगे बढ़ सकता है। बायोगैस योजनाओं से जहां एक ओर किसानों और ग्रामीण संस्थानों को सस्ती व स्वच्छ ऊर्जा उपलब्ध होगी, वहीं दूसरी ओर प्रदूषण पर नियंत्रण, जैविक खाद का उत्पादन और रोजगार सृजन जैसे कई फायदे भी प्रदेश को मिलेंगे।