सीपी राधाकृष्णनः ‘स्वयंसेवक’ से उपराष्ट्रपति बनने तक का सफर! ‘तमिलनाडु के मोदी’ नाम से हैं मशहूर, सामने होंगी ये बड़ी चुनौतियां

नई दिल्ली। चंद्रपुरम पोन्नुसामी राधाकृष्णन यानी सीपी राधाकृष्णन अब देश के 15वें उपराष्ट्रपति बन गए हैं। उन्होंने जनसंघ से अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की थी। 1990 के दशक में वे बीजेपी के सांसद बने। लोग उन्हें प्यार से ‘तमिलनाडु के मोदी’ भी कहते हैं। उन्होंने विपक्ष के उम्मीदवार बी सुदर्शन रेड्डी को हराया। उपराष्ट्रपति के रूप में उनके सामने राज्यसभा में सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच संतुलन बनाए रखने जैसी कई चुनौतियां होंगी। राधाकृष्णन ने 152 वोटों के अंतर से जीत हासिल की। इससे पहले वे महाराष्ट्र के राज्यपाल थे। बता दें कि सीपी राधाकृष्णन का जन्म तमिलनाडु के तिरुप्पुर जिले में हुआ। 17 साल की उम्र से ही वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े हुए हैं। बीजेपी के साथ उनका लंबा सफर रहा है। उनका राजनीतिक सफर 1998 में शुरू हुआ, जब वे कोयंबटूर से लोकसभा के लिए चुने गए। अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के दौरान वे 1998 और 1999 के आम चुनावों में लगातार दो बार सांसद बने। 1998 की जीत खास थी, क्योंकि यह कोयंबटूर बम विस्फोटों के बाद हुई थी और भाजपा को तमिलनाडु में पहली बार तीन सीटें मिलीं। 2004-2007 तक वे तमिलनाडु भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रहे।
राधाकृष्णन के सामने क्या हैं बड़ी चुनौतियां
राधाकृष्णन की जीत के बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, पूर्व उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ तथा कई अन्य प्रमुख नेताओं ने उन्हें बधाई दी। हालांकि इतनी शानदार जीत हासिल करने के बाद भी राधाकृष्णन की आगे की राह आसान नहीं होने वाली है। उनके सामने कई ऐसी चुनौतियां हैं जिन पर उन्हें बहुत मेहनत करनी होगी। उनके सामने राजनीतिक निष्पक्षता का दबाव, राज्यसभा में शांति बनाए रखना, संसदीय गरिमा की रक्षा, सत्ता और विपक्ष के बीच संतुलन बनाने जैसी तमाम बड़ी चुनौतियां होंगी।
अबतक संभाल चुके हैं कई महत्वपूर्ण पद
2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में वे कोयंबटूर से बीजेपी के उम्मीदवार थे, जहां 2014 में उन्होंने 3.89 लाख से अधिक वोट हासिल कर दूसरे स्थान पर रहे। 2016-2020 तक वे केंद्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय के तहत कोयर बोर्ड के चेयरमैन रहे। बीजेपी के राष्ट्रीय कार्यकारी सदस्य के रूप में भी सक्रिय रहे। साल 2023 में केंद्र सरकारी की ओर से उन्हें झारखंड का राज्यपाल नियुक्त किया, जहां उन्होंने आदिवासी समुदायों के सशक्तिकरण पर जोर दिया। फरवरी 2024 में वे महाराष्ट्र के 24वें राज्यपाल बने, जहां उन्होंने राज्य सरकार के साथ सहयोगपूर्ण रवैया अपनाया। विपक्षी दलों के साथ भी उनके संबंध अच्छे माने जाते हैं।