उत्तराखंड: कुमाऊं का प्रसिद्ध त्यौहार हरेला सिर्फ कुमाऊं का ही नही बल्कि पूरे उत्तराखंड का बन चुका है लोकप्रिय त्यौहार! साल में कितनी बार मनाया जाता है ये पावन पर्व? लिंक में पढ़ें महत्वपूर्ण जानकारी

जी रये, जागि रये, तिष्टिये, पनपिये।
दुब जस हरी जड़ हो, ब्यर जस फइये।
हिमाल में ह्यूं छन तक।
गंग ज्यू में पांणि छन तक।
यो दिन और यो मास भेटनैं रये।
अगासाक चार उकाव, धरती चार चकाव है जये।
स्याव कस बुद्धि हो, स्यू जस पराण हो।
इसी गीत के साथ आज उत्तराखंड के ज़्यादातर घरों में हरेले का त्योहार मनाया जा रहा है। हरेले का त्यौहार मूल रूप से उत्तराखंड राज्य के कुमाऊं मंडल में मनाया जाता है जैसे जैसे इस हरेला अन्य क्षेत्रों में भी प्रसिद्ध होने लगा तो उत्तराखंड के अन्य इलाकों में भी हरेले का त्योहार मनाया जाने लगा है। ये त्योहार उन्नति, प्रगति,सुख शांति,इत्यादि का प्रतीक है हरेले का त्योहार वैसे तो साल में तीन बार मनाया जाता है।
1- चैत्र मास में प्रथम दिन बोया जाता है तथा नवमी को काटा जाता है।
2-श्रावण मास में - सावन लगने से नौ दिन पहले आषाढ़ में बोया जाता है और दस दिन बाद श्रावण के प्रथम दिन काटा जाता है।
3-आश्विन मास में - आश्विन मास में नवरात्र के पहले दिन बोया जाता है और दशहरा के दिन काटा जाता है।
सावन के ठीक 9 दिन पहले आषाढ़ में हरेला बोन के लिए एक थालीनुमा बर्तन या टोकरी का इस्तेमाल किया जाता है इसमें मिट्टी डाली जाती है और गेंहू, धान, जौ, गौहत, भट्ट, उड़द, सरसों इत्यादि 5 या 7 प्रकार के बीजों को बोया जाता है। 9 दिन तक उस पात्र में पानी छिड़का जाता है दसवें दिन जब ये पौधे 5 से 6 इंच हो जाते है उसी दिन इन्हें काटा जाता है और पूजा अर्चना के बाद कान और सर पर रखकर बड़ो का आशीर्वाद लिया जाता है। इन पौधों को ही हरेला कहा जाता है। घर मे सुख समृद्धि का प्रतीक के रूप में हरेला बोया जाता है। कहते है जिस घर मे जितने बड़े हरेले उगते है उस घर मे ईश्वर की कृपा उतनी ही बरसती है। सावन के महीने के लगते ही मनाया जाने वाला हरेला सामाजिक रूप से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है ये पूरे कुमाऊँ मण्डल का खास त्योहार है जैसा कि हम सभी जानते है सावन भगवान शिव का प्रिय महीना है इसीलिए हरेले के इस पावन त्यौहार को कई जगह हरी काली के नाम से भी जाना जाता है,क्योंकि कहते है उत्तराखंड भगवान शिव का पसंदीदा स्थल है यहाँ भोले शंकर का वास माना जाता है इसीलिए में श्रावण माह के हरेले त्योहार का महत्व बढ़ जाता है।
उत्तराखंड के इस पावन त्यौहार पर वन विभाग द्वारा पिछले साल हरेला पर्व के दिन एक घंटे में तीन लाख 71 हजार पौधे लगाकर रिकॉर्ड बनाया गया था। इस बार इस रिकॉर्ड को तोड़ने की तैयारी है। प्रदेश में एक ही दिन में पांच लाख पौधे रोपे जा रहे हैं, जिसमें से गढ़वाल मंडल में 3 लाख और कुमाऊं मंडल में 2 लाख पौधे रोपण का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए शासन द्वारा पौधारोपण शुरू कर दिया गया है।मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर इस बार हरेला का त्योहार मनाओ, धरती मां का ऋण चुकाओ और एक पेड़ मां के नाम की थीम पर यह पौधरोपण आयोजित किया जा रहा है। पूरे माह इस पर्व के तहत कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा।
हरेला अभियान के दौरान रातरानी, बेला, चंपा, चमेली जैसे सुगंधित फूलों के साथ ही आम, अमरूद, जामुन, कटहल, आंवला, नीबू, लीची जैसे फलदार पौधे भी लगाए जाएंगे।इन पौधों के अलावा शीशम, हरड़, बहेड़ा, बेलपत्र, संदन, महल, तेजपात, अमलतास, कनजी, कंजू, कचनार, बांस, टिकोमा, पिलन, अर्जुन, मौरेंग, जामुन, आदि प्रजातियों के पौधे भी रोपे जा रहे है।