चर्चा में उत्तराखण्ड शासन का फरमान! 5 हजार रुपये से अधिक का सामान खरीदने से पहले सरकारी कर्मचारियों को लेनी होगी साहब से अनुमति, जानें क्या है मामला?

देहरादून। उत्तराखण्ड शासन ने वर्ष 2002 में बनाई गई राज्य कर्मचारियों की आचरण नियमावली को सख्ती से लागू करने के निर्देश दिए हैं। मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने सभी प्रमुख सचिवों, सचिवों, मंडलायुक्तों, विभागाध्यक्षों और जिलाधिकारियों को पत्र जारी कर यह सुनिश्चित करने को कहा है कि नियमावली का हर कर्मचारी ईमानदारी से पालन करे। इस नियमावली के अनुसार कोई भी सरकारी कर्मचारी पांच हजार रुपये से अधिक मूल्य की किसी चल संपत्ति का क्रय या विक्रय करता है तो उसे इसकी रिपोर्ट देने के साथ ही अनुमति भी समुचित प्राधिकारी से लेनी होगी। साथ ही अचल संपत्ति अथवा बहुमूल्य संपत्ति खरीदने अथवा बेचने से पहले भी समुचित प्राधिकारी से अनुमति प्राप्त करनी होगी। इस आदेश से कर्मचारी संगठनों में खासा रोष देखने को मिल रहा है। वहीं शासन द्वारा जारी किया गया यह आदेश खासा चर्चाओं में बना हुआ है।
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष अरुण पांडेय का कहना है कि यह आदेश वर्ष 2002 का है। तब से अब तक वेतन काफी बदल गया है, उस हिसाब से कार्रवाई होनी चाहिए। उधर राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष अरुण पांडेय का कहना है कि यह नियमावली वर्ष 2002 में बनाई गई थी। उस समय पांच हजार रुपये की सीमा तय की गई थी, तब वेतन भी काफी कम होता था। अब परिस्थितियां बदल गई हैं। वेतन काफी बढ़ गया है। इसे देखते हुए चल संपत्ति के क्रय की सीमा को बढ़ाया जाना चाहिए। बता दें कि आचरण नियमावली के नियम 22 के अन्तर्गत कोई सरकारी कर्मचारी, सिवाय उस दशा के जब कि समुचित प्राधिकारी को इसकी पूर्व जानकारी हो, या तो स्वयं अपने नाम से या अपने परिवार के किसी सदस्य के नाम से, पट्टा, रेहन, क्रय, विक्रय या भेंट द्वारा या ‘अन्यथा, न तो कोई अचल सम्पत्ति अर्जित करेगा और न उसे बेचेगा।