उत्तराखण्डः जंगलों की आग का मामला! वन विभाग ने हाईकोर्ट में पेश किया एक्शन प्लान, 25 सितंबर को फिर होगी सुनवाई

नैनीताल। उत्तराखंड हाइकोर्ट में वर्ष दर वर्ष प्रदेश के जंगलों में लगने वाली आग को लेकर स्वतः संज्ञान वाली याचिका पर सुनवाई हुई। आज हुई सुनवाई के दौरान वन विभाग द्वारा जंगलों में लगने वाली आग की रोकथाम के लिए एक्शन प्लान पेश करते हुए पूर्व के आदेशों का अनुपालन के लिए समय की मांग की, जिसे स्वीकार करते हुए कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए 25 सितंबर की तिथि नियत की है। पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट की खंडपीठ ने राज्य सरकार को अहम निर्देश जारी करते हुए, वन विभाग में खाली पड़े पदों को 6 माह में भरने व ग्राम पंचायतों को मजबूत करने के साथ वर्ष भर जंगलों की निगरानी करने के साथ ही कोर्ट ने कहा था कि क्या राज्य की भौगोलिक परिस्थिति को देखते हुए कृतिम बारिश कराना संभव है। बता दें कि कोर्ट ने इन द मैटर आफ प्रोटेक्शन आफ फारेस्ट एरिया फारेस्ट हेल्थ एंड वाइल्ड लाइफ जनहित याचिका का स्वतः संज्ञान लिया है। अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली व राजीव बिष्ट ने कोर्ट के सम्मुख प्रदेश के जंगलों में लग रही आग के सम्बंध में कोर्ट को अवगत कराते हुए कहा था कि प्रदेश के कई जंगल आग से जल रहे हैं और प्रदेश सरकार इस सम्बंध में कोई ठोस कदम नही उठा रही है। जबकि हाइकोर्ट ने 2016 में जंगलों को आग से बचाने के लिए गाइड लाइन जारी की थी। कोर्ट ने गांव स्तर से ही आग बुझाने के लिए कमेटियां गठित करने को कहा था जिस पर आज तक अमल नही किया गया। सरकार जहां आग बुझाने के लिए हेलीकाप्टर का उपयोग कर रही है उसका खर्चा बहुत अधिक है और पूरी तरह से आग भी नही बुझती है। इसके बजाय गांव स्तर पर कमेटियां गठित की जाए। कोर्ट ने विभिन्न पेपरों में आग को लेकर छपी खबरों का गम्भीरता से संज्ञान लिया। कोर्ट ने सरकार से पूछा कि इसको बुझाने के लिए क्या-क्या उपाय किए जा रहे हैं, कोर्ट को अवगत कराएं।