उत्तराखण्डः पोलियो ग्रस्त युवक को सजा दिए जाने का मामला! हाईकोर्ट ने किया दोषमुक्त, सरकार को पांच लाख रुपए का कम्पनसेशन देने के निर्देश

Uttarakhand: Case of punishment given to a polio-stricken youth! High Court acquits him, directs government to pay compensation of five lakh rupees

नैनीताल। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने जिला अदालत उधम सिंह नगर द्वारा एक पोलियो ग्रस्त अभियुक्त को पोक्सो एक्ट में 20 साल की सजा व आर्थिक दंड से दंडित किए जाने के खिलाफ अभियुक्त की रिहाई को लेकर दायर अपील पर सुनवाई के बाद मुख्य न्यायधीश की खंडपीठ ने अभियुक्त की शारीरिक स्थिति को देखते हुए व पुलिस द्वारा मामले की सही जांच नही करने के आधार पर उसे दोषमुक्त करते हुए राज्य सरकार से कहा है कि उसे 5 लाख रुपये का कम्पनसेशन दें।

बता दें कि खटीमा निवासी रोहित उर्फ कबीर ने निचली अदालत के उस आदेश को चुनौती देकर कहा कि एफटीसी/एडिशनल कोर्ट उधम सिंह नगर द्वारा उन्हें व हरविंदर पाल को आईपीसी की धारा 366, 342, 376 (डी) 506 व 120 तथा चाइल्ड प्रोटेक्शन एक्ट की धारा 5 (जी) 6 के तहत 20 साल की सजा व आर्थिक दंड से दंडित कर 21 नवम्बर 2023 को हल्द्वानी जेल भेज दिया। तब से वे जेल में बंद हैं। याचिका में कहा गया कि जब उसकी उम्र 5 साल की थी तब से वह पोलियो रोग से ग्रषित है। उसके दोनों पैर कार्य नही करते हैं। वह हाथों से नित्य कार्य करता है। उसने यह कृत नही किया है। पुलिस ने बेवजह बिना जांच व मेडिकल परीक्षण के उसके खिलाफ खटीमा थाने में 2018 में मुकदमा दर्ज कर दिया। लिहाजा उसे दोषमुक्त किया जाय।

खटीमा निवासी पीड़िता की मां ने 6 मई 2018 को खटीमा थाने में शिकायत दर्ज कर कहा कि पाल साइबर कैफे के कर्मचारी के कबीर ने उसकी लड़की को फोन करके स्कूल से फार्म भरवाने के लिए कैफे में बुलाया। काफी देर तक जब वह घर नही आई तो वह साइबर कैफे गयी। कैफे के कर्मचारी द्वारा कहा गया कि वह यहां नही है। पुलिस की खोजबीन के बाद लड़की बरामद हुई। उसके बाद पुलिस ने इनके खिलाफ पोक्सो व भारतीय दंड प्रक्रिया की विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया। उसके बाद एफटीसी कोर्ट उधम सिंह नगर ने उन्हें 20 साल की सजा व आर्थिक दंड से दंडित कर हल्द्वानी जेल भेज दिया।