सिस्टम की मारः न्याय के लिए रूड़की से नैनीताल पहुंचा परिवार! हाईकोर्ट घेराव की सूचना पर पुलिस ने रोका, 2 घंटे काउंसलिंग के बाद लौटे घर

नैनीताल। न्याय के लिए दर-दर भटकता एक परिवार इतना निराश हो गया कि अपने अधिकारों के लिए वह हाईकोर्ट का घेराव करने निकलना पड़ा। परिवार न्याय की तलाश में रूड़की से नैनीताल तक पहुंच गया। यह कहानी है रूड़की के टोडा एहतिमाल गांव के एक परिवार की। 3 मई को उनके गांव में रविदास मंदिर के बीच से कुछ लोग ज़बरदस्ती रास्ता बनाने की कोशिश कर रहे थे। परिवार ने इसका विरोध किया और यहीं से उनकी मुश्किलें शुरू हो गईं। विरोध जताने पर दबंगों ने सारी हदें पार कर दीं। वे पीड़ित परिवार के घर में घुस आए, बेरहमी से मारपीट की और परिवार की बेटियों के साथ भी दुर्व्यवहार किया। यह परिवार न्याय के लिए तुरंत पुलिस के पास पहुंचा। पुलिस ने शुरुआती कार्रवाई करते हुए दबंगों के खिलाफ पॉक्सो और एससी/एसटी एक्ट के तहत मुकदमा तो दर्ज कर लिया। लेकिन फिर कुछ ऐसा हुआ जिसने पीड़ित परिवार को और बड़ा झटका दिया। अचानक पुलिस ने इन गंभीर धाराओं को हटा दिया। इससे भी बड़ी बात दबंगों ने उलटा पीड़ित परिवार के खिलाफ भी क्रॉस एफआईआर दर्ज करवा दी! सोमवार को हरीश कुमार, पलटू राम, ममता देवी, रचना और चाहना देवी ये पांचों सदस्य काले कपड़े पहनकर रूड़की से नैनीताल के लिए निकल पड़े। उनका एकमात्र मकसद था उत्तराखंड हाईकोर्ट का घेराव करना, ताकि न्याय की उनकी गुहार सीधे न्यायपालिका तक पहुंचे। पूरा परिवार काले कपड़े पहनकर हाईकोर्ट घेराव को नैनीताल पहुचा ही था कि पुलिस को भनक लग गयी। पुलिस ने लोगों को पकड़कर वैधानिक तरीके से कोर्ट में अपनी बात रखने को कहा। याचिका और अधिवक्ता के माध्यम से कोर्ट में अपना पक्ष रखा जाता है। पुलिस प्रशासन द्वारा तकरीबन 2 घंटे काउंसलिंग की गई। जिसके बात परिवार मान गया और घर लौट गया।