शर्मनाकः पंतनगर विवि के अतिथि गृह में छात्राओं की बनाई आपत्तिजनक वीडियो! मामले को लेकर उठ रहे गंभीर सवाल, देहरादून में जीरो एफआईआर दर्ज होने के बाद हरकत में आया पुलिस महकमा

पंतनगर। जीबी पंत कृषि विश्वविद्यालय से जुड़ा एक ऐसा मामला सामने आया है, जिससे कई सवाल खड़े हो रहे हैं। यहां विवि के अंतर्राष्ट्रीय अतिथि गृह में ठहरीं तीन पीएचडी स्कॉलर छात्राओं का आपत्तिजनक वीडियो बनाने और फोटो खींचने का मामला सामने आया है। बताया जाता है कि एक स्थानीय युवक ने अतिथि गृह के बाथरूम की खिड़की से अपने मोबाइल फोन पर आपत्तिजनक वीडियो बनाई थी। खबरों के मुताबिक छात्राओं ने वीडियो बनाने वाले शख्स को पकड़ लिया था, लेकिन तब दबाव के चलते मामले को रफा-दफा कर दिया गया। जिसके बाद इस मामले में छात्राओं ने राजधानी देहरादून में जीरो एफआईआर दर्ज कराई, जो ऊधम सिंह नगर जिले को ट्रांसफर कर दी गई है। छात्राओं ने शिकायती पत्र में बताया कि डीम्ड विवि द्वारा उन्हें 2 जनवरी 2025 को देहरादून से पंतनगर विवि में शोध कार्य के लिए भेजा गया था। जहां पंतनगर विवि के अंतर्राष्ट्रीय अतिथि गृह में उन्हें कमरे आवंटित किए गए थे। बताया कि 3 जनवरी की शाम 6 बजे जब ये तीनों युवतियां कमरे से अटैच बाथरूम में बारी-बारी से गईं तो एक युवती ने स्नान करने के दौरान देखा कि एक युवक उनका वीडियो बना रहा है और फोटो खींच रहा है। शोर मचाने पर जब सभी लोग बाहर निकले तो एक युवक भागता हुआ दिखाई दिया।
प्रारंभिक पड़ताल में अतिथि गृह के समीप रहने वाले एक युवक से पूछताछ की गई। गुरुदत्त नाम के इस युवक ने पुलिस से पूछताछ के दौरान इस तरह की वीडियो बनाने और फोटो खींचने पर पश्चाताप जताया। आरोप है कि पुलिस व अन्य अधिकारियों ने समझौता करा दिया। पीड़िता की ओर से दर्ज कराई गई एफआईआर के आरोपी गुरुदत्त के पिता अक्षय कुमार पंतनगर एसबीआई शाखा में उप शाखा प्रबंधक हैं। वे दो महीने पहले ही शाखा में ट्रांसफर होकर आए हैं और पंतनगर में आवास नहीं मिलने की वजह से वह अंतरराष्ट्रीय अतिथि गृह में परिवार के साथ रह रहे थे।
इन पीड़ित छात्राओं के अनुसार वे घटना के बाद से मानसिक अवसाद से गुजर रहीं है। जिसके बाद उन्होंने देहरादून पुलिस को शिकायती पत्र सौंपा, जिसके आधार पर अब ऊधम सिंह नगर पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू की है। मामले में एसएसपी मणिकांत मिश्रा ने बताया कि देहरादून से जीरो एफआईआर पंतनगर थाने में ट्रांसफर हुई है और यह मामला बेहद गंभीर है। उन अधिकारियों के खिलाफ भी जांच कराई जाएगी, जिन पर बाहरी शोधकर्ताओं को भयभीत कर माफीनामा लिखाने का आरोप लगाया गया है।