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सनसनीखेजः हरियाणा में अब ASI ने खुद को गोली मारकर दी जान! सुसाइड नोट में IPS वाई पूरन कुमार पर लगाए गंभीर आरोप, मचा हड़कंप

 Sensational: In Haryana, an ASI has shot himself to death! The suicide note leveled serious allegations against IPS officer Y. Puran Kumar, causing a stir.

नई दिल्ली। हरियाणा से एक और सनसनीखेज मामला सामने आया है। यहां आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार की आत्महत्या के मामले को लेकर जहां कई दिनों से हंगामा चल रहा है, वहीं अब मंगलवार को रोहतक में साइबर सेल में तैनात एक एएसआई ने खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली। पुलिस को घटनास्थल से तीन पन्नों का सुसाइड नोट और एक वीडियो मैसेज मिला है। मृतक एएसआई ने अपने सुसाइड नोट में दिवंगत आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। एएसआई ने लिखा है कि वाई पूरन कुमार भ्रष्टाचार में लिप्त थे और जातिवाद का सहारा लेकर सिस्टम को हाईजैक कर रहे थे। नोट में एएसआई ने कहा कि उसने ‘भ्रष्ट सिस्टम के खिलाफ शहादत’ दी है और इस परिवार के खिलाफ निष्पक्ष जांच की मांग की है। सूत्रों के अनुसार मृतक एएसआई किसी अहम केस की जांच टीम का हिस्सा था, जो आईपीएस वाई पूरन कुमार के गनमैन सुशील कुमार से जुड़े मामले से संबंधित थी। खबरों के मुताबिक साइबर सेल में तैनात एएसआई वाई पूरन कुमार पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच कर रहा था। ASI ने जान देने से पहले तीन पेज का सुसाइड नोट और एक वीडियो मैसेज छोड़ा है। इस मैसेज में ASI ने आईपीएस वाई पूरन कुमार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उसने दावा किया है कि वाई पूरन कुमार भ्रष्टाचारी अफसर थे।

वाई पूरन कुमार पर क्या आरोप लगाया?

साइबर सेल में तैनात एएसआई ने जान देने से पहले कहा- "वाई पूरन कुमार भ्रष्टाचारी अफसर थे। उनके खिलाफ बहुत से सबूत मौजूद हैं। पूरन कुमार ने गिरफ्तारी के डर से सुसाइड किया है। उन्होंने जातिवाद का सहारा लेकर सिस्टम को हाईजैक किया। मैं अपनी शहादत देकर जांच की मांग कर रहा हूं। इस भ्रष्टाचारी परिवार को छोड़ा नहीं जाए।"

क्या है पूरा मामला?
दरअसल, बीते 7 अक्टूबर को भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के 2001 बैच के अधिकारी वाई पूरन कुमार ने चंडीगढ़ के सेक्टर-11 स्थित अपने आवास पर कथित तौर पर गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी। उन्होंने 8 पन्नों का ‘अंतिम नोट’ छोड़ा था, जिसमें हरियाणा के पुलिस महानिदेशक शत्रुजीत कपूर और रोहतक के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक (एसपी) नरेंद्र बिजारणिया सहित आठ वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों पर ‘जातिगत भेदभाव, निशाना बनाकर मानसिक उत्पीड़न, सार्वजनिक अपमान तथा अत्याचार’ का आरोप लगाया गया है।