SC न्यूज़:महिला कर्मचारियों से ‘मासिक धर्म का सबूत’ मांगने वालों को सुप्रीम कोर्ट की फटकार!नोटिस जारी कर पूछा सवाल क्या छुट्टी देने के लिए भी सबूत मांगेंगे?लिंक में पढ़ें पूरा मामला
हरियाणा के महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय (MDU) में महिला सफाई कर्मचारियों से मासिक धर्म (पीरियड्स) होने का सबूत मांगने के विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस आर. महादेवन की पीठ ने इस मामले में केंद्र सरकार, हरियाणा सरकार और विश्वविद्यालय प्रशासन को नोटिस जारी कर दो सप्ताह में जवाब मांगा है।
सुनवाई के दौरान जस्टिस नागरत्ना ने टिप्पणी करते हुए कहा कि यह मामला समाज की मानसिकता को दर्शाता है। उन्होंने कहा, “कर्नाटक में महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान छुट्टी प्रदान की जाती है। जब मैंने यह खबर पढ़ी, तो सोचा कि क्या वहां भी छुट्टी देने के लिए सबूत मांगा जाएगा? यदि कर्मचारियों की अनुपस्थिति के कारण कोई भारी कार्य प्रभावित हो रहा था, तो किसी अन्य को तैनात किया जा सकता था। हमें उम्मीद है कि यह याचिका सकारात्मक बदलाव लाएगी।”
पुलिस के अनुसार, 31 अक्टूबर को विश्वविद्यालय से जुड़े तीन लोगों के खिलाफ यौन उत्पीड़न का मामला दर्ज किया गया था। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष और वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने अदालत को बताया कि मामला अत्यंत गंभीर है और इसकी विस्तृत जांच आवश्यक है।
याचिका में केंद्र और हरियाणा सरकार को स्वतंत्र, निष्पक्ष एवं समयबद्ध जांच के निर्देश देने की मांग की गई है। साथ ही यह सुनिश्चित करने के लिए विशेष दिशानिर्देश बनाने की मांग भी की गई है कि मासिक धर्म के दौरान महिलाओं और किशोरियों के स्वास्थ्य, सम्मान, निजता और शारीरिक स्वायत्तता का किसी भी स्तर पर उल्लंघन न हो। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 15 दिसंबर की तारीख निर्धारित की है।