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पंचायत चुनावः नेता प्रतिपक्ष आर्य का बड़ा आरोप! बोले- सरकार के दबाव में काम कर रहे रिटर्निंग आफिसर्स, कार्यशैली पर उठाए सवाल

Panchayat elections: Leader of opposition Arya makes a big allegation! Said- Returning officers are working under government pressure, raised questions on working style

देहरादून। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि नगरीय और ग्रामीण दोनों निकायों की मतदाता सूची में नाम होने को असंवैधानिक बताने के उनके विचार की उच्च न्यायालय ने भी पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि आज मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने 11 जुलाई 2025 के सचिव, उत्तराखण्ड चुनाव आयोग के स्पष्टीकरण  को अवैधानिक मानते हुए उस पर रोक लगा दी है। इस स्पष्टीकरण द्वारा आयोग के सचिव ने नगरीय और ग्रामीण दोनों निकायों में मतदाता के रूप में दर्ज को मतदाताओं को त्रिस्तरीय पंचायत निकायों में मत देने और चुनाव लड़ने को वैधता दी थी। उन्होंने कहा कि न्यायालय ने आज खुली कोर्ट में जिला निर्वाचन अधिकारी को यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया है कि नगरीय और ग्रामीण दोनों निकायों में मतदाता के रूप में दर्ज आवेदकों के नामांकन पत्रों की जांच आदि की कार्यवाही स्थगित करनी चाहिए। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि राज्य में हो रहे पंचायत चुनावों में रिटर्निंग आफिसर्स राज्य सरकार के दबाव में भाजपा समर्थित उम्मीदवारों को अवैध लाभ पहुंचाने के लिए असंवैधानिक और पंचायत राज अधिनियम के प्रतिकूल निर्णय ले रहे हैं।

उन्होंने कहा कि इस तरह के असंवैधानिक और नियम विरुद्ध निर्णय लेने वाले रिटर्निंग ऑफिसरों की जिम्मेदारी तय करने का समय आ गया है। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि रिटर्निंग ऑफिसरों को असीमित शक्तियां प्राप्त हैं सारा चुनाव उनके हाथ पर होता है इसलिए उनको गलत निर्णय के लिए जवाबदेह बनाना चाहिए। श्री आर्य ने कहा कि टिहरी जिले के जिला पंचायत सदस्यों हेतु निर्धारित रिटर्निंग ऑफिसर ने पहले सुबह सात नामांकन पत्र स्वीकृत कर दिए, फिर शाम को अपना फैसला पलट कर उन्हीं स्वीकृत नामांकनों को अस्वीकृत कर दिया। उन्होंने कहा कि किसी भी रिटर्निंग ऑफिसर को अपने फैसले पर पुनर्विचार की शक्ति नहीं होती है। इसी तरह रुद्रप्रयाग के एक रिटर्निंग ऑफिसर ने भाजपा समर्थित 27 लाख के बकायेदार और वारंटी का नाम निर्देशन पत्र इस आधार पर स्वीकृत कर दिया कि मामला उच्च न्यायालय में चल रहा है। उन्होंने कहा कि इस मामले में आपत्तिकर्ताओं ने रिटर्निंग ऑफिसर को सारे प्रमाण देकर बताया था कि इस मामले में न तो उच्च न्यायालय ने बकायेदार के पक्ष में कोई स्थगन दिया है और न ही उसके पक्ष में कोई निर्णय है। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि प्रदेश के हर जिले से सरकार के दबाव में रिटर्निंग ऑफिसरों की मनमानी के ऐसे कई मामले आ रहे हैं, जो चुनाव की निष्पक्षता और रिटर्निंग ऑफिसरों की सत्यनिष्ठा पर प्रश्न चिन्ह लगाते हैं। इसलिए समय रहते इन पर रोक लगानी आवश्यक है।