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नैनीतालः दूरदर्शी पहल! कुमाऊं विवि तय करेगा शोध प्रकाशनों के गुणवत्ता मानक, विशेषज्ञ समिति का गठन

Nainital: Visionary initiative! Kumaon University will decide the quality standards of research publications, expert committee formed

नैनीताल। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा केयर (कंसोर्टियम फॉर ऐकडेमिक एंड एथिक्स) सूची को समाप्त किए जाने के बाद अब उच्च शिक्षण संस्थानों पर शोध प्रकाशनों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने की ज़िम्मेदारी और अधिक बढ़ गई है। इसी परिप्रेक्ष्य में कुमाऊं विश्वविद्यालय ने एक महत्वपूर्ण और दूरदर्शी पहल की है। कुलपति प्रो. दीवान एस. रावत के नेतृत्व में विश्वविद्यालय ने एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया है, जो यह तय करेगी कि किन शोध पत्रिकाओं को प्रत्यक्ष नियुक्तियों और कैस (कैरियर एडवांसमेंट स्कीम) के अंतर्गत पदोन्नति के लिए मान्यता दी जाए। प्रो. रावत का मानना है कि विश्वविद्यालय की अकादमिक साख और शोध संस्कृति को बनाए रखने के लिए यह आवश्यक है कि केवल उच्च गुणवत्ता वाले, नैतिक और विषय-संगत शोध पत्र ही विश्वविद्यालय में मान्य हों। उनके नेतृत्व में गठित यह समिति शोध प्रकाशनों की न्यूनतम गुणवत्ता के मानक तय करेगी और विश्वविद्यालय में शोध को नई दिशा प्रदान करेगी। कुलपति प्रो. रावत ने कहा कि CARE सूची की समाप्ति के बाद यह अत्यंत आवश्यक हो गया है कि विश्वविद्यालय अपनी शोध गुणवत्ता का मूल्यांकन स्वयं सुनिश्चित करे। यह समिति इस बात पर विशेष ध्यान देगी कि संकाय सदस्यों की पदोन्नति के लिए केवल वही शोध कार्य मान्य हों, जो विश्वसनीय जर्नलों में प्रकाशित हुए हों और जिनकी समीक्षा प्रणाली निष्पक्ष व वैज्ञानिक हो।

समिति में कुमाऊँ विश्वविद्यालय के विभिन्न विषयों के वरिष्ठ प्रोफेसर, अन्य विश्वविद्यालयों के विशेषज्ञ, और दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित शिक्षाविदों को शामिल किया गया है। इनमें भूगोल, वनस्पति विज्ञान, भूविज्ञान, हिन्दी, प्रबंधन, इतिहास, रसायन, वाणिज्य, भौतिकी तथा राजनीति शास्त्र जैसे विषयों के विशेषज्ञ शामिल हैं। समिति यह सुनिश्चित करेगी कि केवल उन्हीं शोध पत्रिकाओं को मान्यता दी जाए जिनमें शोध पत्र पारदर्शी, गंभीर और वैज्ञानिक समीक्षा प्रक्रिया से गुजरे हों। कुलपति प्रो. रावत ने कहा कि यह कदम न केवल विश्वविद्यालय के शैक्षणिक स्तर को ऊंचा उठाएगा, बल्कि शिक्षकों और शोधार्थियों को भी गुणवत्ता-आधारित शोध की ओर प्रेरित करेगा। साथ ही यह पहल पदोन्नति की प्रक्रिया को पारदर्शी और वस्तुनिष्ठ बनाने में भी सहायक सिद्ध होगी। यह निर्णय कुमाऊँ विश्वविद्यालय को शोध की दिशा में अधिक स्वायत्त, उत्तरदायी और वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाएगा। इससे पदोन्नति प्रक्रियाएं अधिक पारदर्शी होंगी और शोध का स्तर बेहतर होगा।