नैनीतालः कुमाऊं विवि दीक्षांत समारोह! मानद उपाधि से सम्मानित होंगे प्रसिद्ध अभिनेता ललित मोहन तिवारी और यूजीसी के पूर्व चेयरमैन प्रो. डीपी सिंह

Nainital: Kumaon University convocation ceremony! Famous actor Lalit Mohan Tiwari and former UGC Chairman Prof. will be honored with the honorary degree. DP Singh

नैनीताल

कुमाऊं विवि के 19वें दीक्षांत समारोह में महाभारत के संजय यानी प्रसिद्ध अभिनेता ललित मोहन तिवारी और अंतराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त और यूजीसी के पूर्व चेयरमैन प्रो. डीपी सिंह को मानद उपाधि प्रदान की जाएगी।

सरोवर नगरी नैनीताल के तल्लीताल बाजार निवासी ललित मोहन तिवारी एक अनुभवी अभिनेता हैं, जो भारतीय रंगमंच और सिनेमा में अपने महत्वपूर्ण योगदान के लिए प्रसिद्ध हैं। नैनीताल में पले-बढ़े ललित तिवारी ने 1970 में अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की और 1971 में डीएसबी परिसर, नैनीताल से कला स्नातक की डिग्री हासिल की। ललित तिवारी को मुख्य रूप से महाभारत (1988 -1990) टीवी शो में संजय के किरदार के लिए जाना जाता है, साल 1988 में इन्होने भारत एक खोज हिस्टोरिकल सीरीज में भी काम किया । नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा में पढ़े हुए ललित ने साल 1987 में सुधीर मिश्रा की फिल्म ‘ये वो मंजिल तो नहीं’ से अपने फिल्मी करियर की शुरुवात की। दरअसल उनके जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ तब आया, जब उन्होंने 1976 में डीएसबी कॉलेज के रजत जयंती समारोह के दौरान लेनिन पंत के निर्देशन में धर्मवीर भारती की अंधा युग में अभिनय किया। निर्देशक के प्रोत्साहन से प्रेरित होकर, ललित मोहन तिवारी ने प्रतिष्ठित राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में प्रवेश के लिए आवेदन किया और प्रवेश प्राप्त किया जिसके बाद उन्होंने बॉलीवुड  की दुनिया में कदम रखा और कई फिल्मों में अभिनय करते हुए दिखाई दिए। उन्होंने चांदनी, लम्हे और दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे जैसी मुख्यधारा की बॉलीवुड फिल्मों में भी काम किया है।

उन्होंने 1977 से 1980 तक बीएम साह, बीसी कारत, मोहन उप्रेती, इब्राहिम अलकाज़ी जैसे दिग्गज गुरुओं के मार्गदर्शन में प्रशिक्षण लिया। यह पहला मौका है जब नैनीताल निवासी प्रसिद्ध सिने अभिनेता और डीएसबी परिसर के पूर्व छात्र को विवि की ओर से यह सर्वोच्च सम्मान प्रदान किया जाएगा। 


वहीं दीक्षांत समारोह में प्रो. डीपी सिंह को मानद उपाधि दी जाएगी। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के सलाहकार धीरेंद्र प्रताप सिंह को इसी साल अप्रैल में भारत सरकार ने पांच साल के लिए टाटा इंस्टीट्यूट आफ सोशल साइंसेज का चांसलर नियुक्त किया है। प्रो सिंह विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के चेयरमैन भी रह चुके हैं। मध्य प्रदेश के सागर में हर सिंह गौर विवि, बनारस हिंदू विवि और देवी अहिल्या विवि के कुलपति भी रहे। वह राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद या नैक के चेयरमैन भी रहे। वह स्कूल आफ रिसर्च मेथोडोलाजी आफ टाटा इंस्टीट्यूट आफ सोशल साइंसेज में एसोसिएशन डीन व प्रोफेसर रहे। टाटा इंस्टीट्यूट में 1985 से काम कर रहे हैं। विक्रम यूनिवर्सिटी उज्जैन से सांख्यकी में पीएचडी की है। सिंह ने गढ़वाल विवि से वनस्पति विज्ञान में डाक्टर आफ फिलॉस्फी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. सिंह ने भारतीय उच्च शिक्षा के अंतरराष्ट्रीयकरण को भी बढ़ावा दिया है, इसलिए उन्होंने ब्रिटेन, यूएसए, जर्मनी, फ्रांस, नॉर्वे, डेनमार्क, चीन, ऑस्ट्रेलिया, हांगकांग, थाईलैंड, मलेशिया, फिजी, मॉरीशस, सिंगापुर और नेपाल जैसे देशों में कई शैक्षणिक मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व किया। प्रो. सिंह को प्रतिष्ठित राष्ट्र निर्माता पुरस्कार, पर्यावरण नेतृत्व पुरस्कार और राजा बलवंत सिंह शिक्षा सम्मान शामिल हैं।