"मां की गाली" विवाद: बिहार चुनाव में भाजपा का इमोशनल टूलकिट और दोहरे मापदंड का पर्दाफाश

"मां की गाली" विवाद: बिहार चुनाव में भाजपा का इमोशनल टूलकिट और दोहरे मापदंड का पर्दाफाश
विश्लेषण: सुनील मेहता
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की सरगर्मी के बीच दरभंगा में 27 अगस्त 2025 को कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) की 'वोटर अधिकार यात्रा' के दौरान एक व्यक्ति द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्वर्गीय मां के खिलाफ अपशब्द कहे जाने की घटना ने सियासी तूफान खड़ा कर दिया है । वायरल वीडियो के बाद पुलिस ने आरोपी, मोहम्मद रिजवी उर्फ राजा, को गिरफ्तार कर लिया । आयोजक मोहम्मद नौशाद ने स्पष्ट किया कि यह टिप्पणी सभा समाप्त होने के बाद एक बाहरी व्यक्ति ने की थी, जो न तो कांग्रेस का था न ही आरजेडी का । फिर भी, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इसे "मां का अपमान" बताकर भावनात्मक हथियार बनाया और बिहार की जनता में सहानुभूति बटोरने की रणनीति अपनाई । लेकिन इस घटना ने भाजपा और नरेंद्र मोदी के दोहरे मापदंडों को भी उजागर किया, जिन्होंने स्वयं विपक्षी नेताओं, खासकर सोनिया गांधी, के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियां की हैं।
भाजपा का इमोशनल कार्ड और टूलकिट की रणनीति
2 सितंबर 2025 को बिहार राज्य जीविका निधि साख सहकारी संघ के वर्चुअल उद्घाटन के दौरान नरेंद्र मोदी ने भावुक अंदाज में कहा, "मां हमारा स्वाभिमान है। कांग्रेस और आरजेडी ने मेरी मां को गाली दी, जो हर बिहारी मां, बहन, बेटी का अपमान है।" उन्होंने इसे छठ पूजा और नवरात्रि जैसे त्योहारों से जोड़कर बिहार के ग्रामीण और महिला मतदाताओं को निशाना बनाया। भाजपा ने इस मुद्दे को भुनाने के लिए 4 सितंबर को बिहार बंद का आह्वान किया, जिसमें आपातकालीन सेवाओं को छोड़कर पूर्ण बंद की अपील की गई। कांग्रेस और आरजेडी ने इसे भाजपा की सुनियोजित साजिश करार दिया। कांग्रेस सांसद तारिक अनवर ने कहा कि यह टिप्पणी एक बाहरी व्यक्ति की थी, और भाजपा ने इसे "टूलकिट" के जरिए बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया ताकि मतदाता सूची में बदलाव जैसे असल मुद्दों से ध्यान भटकाया जा सके। आरजेडी ने आरोप लगाया कि भाजपा ने उनके कार्यकर्ताओं को सभा में घुसपैठ करवाकर माहौल बिगाड़ने की कोशिश की और बाद में कांग्रेस कार्यालय पर हमला करवाया।
हिमाचल में सतपाल सत्ती का विवाद
हिमाचल प्रदेश में भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सतपाल सिंह सत्ती ने भी कांग्रेस नेताओं के खिलाफ अभद्र टिप्पणियां कीं । 13 अप्रैल 2019 को सोलन में एक रैली में सत्ती ने राहुल गांधी को "ज़मानती" और सोनिया गांधी को अपमानजनक शब्दों से नवाजा। उन्होंने एक सोशल मीडिया पोस्ट पढ़ा, जिसमें राहुल के लिए "मां की गाली" शामिल थी। इस पर चुनाव आयोग ने सत्ती को 48 घंटे के लिए प्रचार से रोका। 2023 में सत्ती ने फिर राहुल को "नाकारा" कहा, जिसे कांग्रेस ने भाजपा की संस्कृति का हिस्सा बताया।
टीवी डिबेट में भाजपा प्रवक्ता ने कहा तेरी मां ‘रं @##$ डी’ है ...
1 जून 2025 को आज तक चैनल पर एक लाइव डिबेट के दौरान भाजपा प्रवक्ता प्रेम शुक्ला ने कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र सिंह राजपूत की स्वर्गीय मां के लिए अत्यंत आपत्तिजनक शब्द "रडी" का इस्तेमाल किया। शुक्ला ने कहा, "तेरी मां रं@#$डी है" और "तवायफ की औलाद" जैसे शब्दों का प्रयोग किया, जिसे एंकर ने तुरंत निंदनीय बताया और माफी मांगी। कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने सोशल मीडिया पर इसे "हर मर्यादा को तोड़ने वाला" बताया और कार्रवाई की मांग की। इस घटना ने भाजपा के नैतिक दावों को और कमजोर किया, जब वह बिहार में "मां के अपमान" का मुद्दा उठा रही थी।
भाजपा का दोहरा चरित्र: सोनिया गांधी पर "जर्सी गाय" और "50,000 की गर्लफ्रेंड" टिप्पणी
इस विवाद ने भाजपा के दोहरे मापदंडों को उजागर किया। विपक्ष ने याद दिलाया कि नरेंद्र मोदी और भाजपा नेताओं ने कई बार सोनिया गांधी के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियां की हैं। 2013 में दिल्ली में एक रैली के दौरान नरेंद्र मोदी ने कथित तौर पर सोनिया गांधी को "जर्सी गाय" कहा था, जिसे कांग्रेस ने उनकी गरिमा पर हमला माना। इसके अलावा, 2014 में एक चुनावी सभा में मोदी ने शशि थरूर की तत्कालीन पत्नी सुनंदा पुष्कर के लिए "50 करोड़ की गर्लफ्रेंड" टिप्पणी की थी, जिसे विपक्ष ने महिला विरोधी और अपमानजनक बताया। तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने हाल ही में एक ट्वीट में कहा, "सोनिया गांधी को 'जर्सी गाय' और 'कांग्रेस की विधवा' जैसे शब्दों से अपमानित करने वाले मोदी का 'ज़ुबान संभालने' पर भाषण देना तर्कसंगत नहीं है।"
रेणुका चौधरी पर भी पीएम कर चुके है अभद्र टिप्पणी
फरवरी 2018 को राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर बोलते समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेसी सांसद रेणुका चौधरी के जोर से हंसने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रेणुका चौधरी की हंसी को रामायण से जोड़ दिया था और कहा था कि रामायण सीरियल के बाद ऐसी हंसी सुनने का सौभाग्य आज जाकर मिला है।" जिसके बार रेणुका सिंह ने पीएम मोदी कि इस टिप्पणी को महिलाओं के प्रति अपमानजनक और ‘सेक्सिस्ट’ बताया था और महिला कॉंग्रेस ने नरेंद्र मोदी से माफी की मांग की थी ।
मोदी को क्या फायदा?
बिहार में ओबीसी, ईबीसी और दलित मतदाता निर्णायक हैं, और भाजपा इस मुद्दे को "मां का अपमान" बताकर इन समुदायों में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है। इसे छठी मैया और बिहार की संस्कृति से जोड़कर मोदी ने ग्रामीण और महिला मतदाताओं को आकर्षित करने की कोशिश की। यह रणनीति विपक्ष की "वोटर अधिकार यात्रा" को कमजोर करने और मतदाता सूची में कथित अनियमितताओं जैसे मुद्दों से ध्यान हटाने का प्रयास भी है। माहौल बिगाड़ने की साजिश?
इस विवाद ने बिहार में सामाजिक तनाव को बढ़ावा दिया है। भाजपा का "मां का अपमान" अभियान सामाजिक ध्रुवीकरण को बढ़ा सकता है, जिससे सांप्रदायिक और जातिगत तनाव भड़कने का खतरा है। विपक्ष का दावा है कि यह भाजपा का सुनियोजित "टूलकिट" है, जिसका उद्देश्य विकास, बेरोजगारी और मतदाता सूची जैसे मुद्दों से ध्यान भटकाना है। दूसरी ओर, भाजपा का कहना है कि यह विपक्ष की "गंदी राजनीति" का परिणाम है।
निष्कर्ष
बिहार, हिमाचल, और टीवी डिबेट में गाली-गलौज की घटनाएं भारतीय राजनीति में गिरते स्तर को दर्शाती हैं। भाजपा का "मां के अपमान" पर आक्रोश तब पाखंड लगता है, जब उसके अपने नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी,सुरेंद्र राजपूत की मां और शशि थरूर की पत्नी के खिलाफ अभद्र भाषा का इस्तेमाल करते हैं। भारतीय मुख्य धारा की मीडिया में भी जमकर लाइव डिबेट में गालियां जमकर दी जाती है लेकिन अगर अपशब्द बोलने वाला भारतीय जनता दल से संबंध रखता है तो कोई कार्रवाही नहीं की जाती लेकिन अगर अपशब्द बोलने वाला भाजपा का न होकर अन्य किसी भी दल का निकल आता है तो मामले को ज़ोर शोर से उठाया जाता है और देश भक्ति और देशद्रोही के पैमाने पर कस दिया जाता है । अब ऐसे में बिहार की जनता को यह तय करना है कि क्या यह भावनात्मक कार्ड सच्ची संवेदना है या केवल चुनावी रणनीति के लिए टूल किट का सहारा लिया गया है ।