चंद्रयान-3 को लेकर इन दिनों विदेश और देश में चर्चा का विषय बना हुआ है। पूरे देशासियों को 23 अगस्त का बेसब्री से इंतजार है, जब चंद्रयान-3 चांद से महज दो कदम दूर होगा। बीते दिनों लैंडर और रोवर के अलग होने के रूप में हमारे वैज्ञानिकों को बड़ी सफलता मिली थी। दरअसल, चंद्रयान-2 की विफलता को ध्यान में रखकर इस बार हमारे वैज्ञानिक फूंक-फूंककर कदम रख रहे हैं। चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग के समय पूरा देश खुशी से झूम उठा था। अब सभी को 23 अगस्त का इंतजार है, जब हम चंदा मामा की गोद में अपने विक्रम लैंडर को उतरता देखेंगे। वहीं इसरो चीफ स्पष्ट कर चुके हैं कि अगर सब कुछ ठीक रहा, तो हमें नया  कीर्तिमान स्थापित करने से कोई नहीं रोक सकेगा। हालांकि, उन्होंने दो टूक कह दिया कि फिलहाल आशा है कि इस बार अच्छा होगा। तो आइए हम आपको बताते इसरो  चीफ एस सोमनाथ के बारे में, जिनकी अगुवाई में इसरो इतिहास रचने जा रहा है।

दरअसल, हम आपको इसरो प्रमुख एम सोमनाथ के बारे में बताते हैं। जिनके नेतृत्व में ही चंद्रयान-3 की सफल लॉन्चिंग हुई है। पूर्व इसरो चीफ के सिवन का कार्यकाल समाप्त होने के बाद एस सोमनाथ को यह कमान सौंपी गई है। इससे पहले वो अंतरिक्ष विभाग और अंतरिक्ष आयोग के सचिव पद की भी जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। इससे पूर्व वे तिरुवनंतपुरम में विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र की भी कमान संभाल चुके हैं।

इसरो चीफ एस सोमनाथ का जन्म जुलाई 1963 को केरल के अलापुझा जिले में हुआ था। उनके पिता शिक्षक थे. साथ ही उनकी शुरुआती पढ़ाई केरल में ही हुई। उन्होंने केरल के विश्वविद्यालय से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन किया, जिसके बाद उन्होंने पोस्ट ग्रेजुएशन के लिए बेंगलुरु गए। जहां उन्होंने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस से उच्च शिक्षा प्राप्त की। उनकी पत्नी जीएसटी विभाग में कार्यरत है। उनके दो बच्चों हैं, उन्होंने भी विज्ञान में ही शिक्षा ग्रहण की है। बता दें कि एस सोमनाथ को कई क्षेत्रों में विशेषज्ञता हासिल है। वह इंजीनियरिंग, स्ट्रक्चरल डिजाइन, मैकेनिज्म, पायरोटेक्नीक और इंटीग्रेशन के क्षेत्र में वो पारंगत हैं। जब से इसरो की कमान उनके हाथों में आई है, तब से वो नित दिन नए-नए कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं।

चंद्रयान-3 मिशन भारत की उम्मीदों को लेकर चांद की सतह पर उतरेगा। 23 अगस्त को शाम 6.04 बजे इसके चंद्रमा की सतह पर उतरने की पूरी उम्मीद है।  एस सोमनाथ ने इसरो के कई अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, चंद्रयान-3 उनमें से एक है। उन्होंने चंद्रयान-3 को इतनी ऊंचाई पर पहुंचा दिया है और  सब कुछ ठीक रहा तो चंद्रयान-3 चांद की सतह पर सुरक्षित लैंड करेगा।