हाई अलर्ट पर भारत! कल होगा बड़ा मॉक ड्रिल,ब्लैकआउट की भी तैयारी

India on high alert! A big mock drill will be conducted tomorrow, preparations for blackout also underway

पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के रिश्ते पहले से भी ज्यादा खराब हो गए हैं। युद्ध जैसे हालात बन चुके हैं। दोनों देशों की फौजें कमर कसकर तैयार हैं। पाकिस्तानी सेना प्रमुख तनाव की इस आग में लगातार अपने बयानों का घी डाल रहा है।इस बीच भारत सरकार ने फैसला किया है कि 7 मई यानी बुधवार को सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल की जाएगी। युद्ध तथा आपातकाल की स्थिति में इस तरह की ड्रिल की जाती है। इस दौरान हवाई हमले की चेतावनी देने वाले सायरन बजाए जाते हैं। ब्लैकआउट प्रोटोकॉल का पालन करते हुए लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचने की ट्रेनिंग दी जाती है। आपके मन में यह सवाल जरूर उठ रहा होगा कि ऐसा क्यों हो रहा है? क्या वाकई युद्ध होने वाला है? और इस तरह की ड्रिल पिछली बार कब हुई थी? सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल क्या है? इसमें क्या होता है? परेशान होने की जरूरत नहीं है। यहां हम आपके ऐसे ही सवालों के जवाब दे रहे हैं।


देश में 7 मई 2025 को आधिकारिक तौर पर नामित जिलों और विभागों में मॉक ड्रिल किया जाएगा। इसके लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल कराने और निरीक्षण करने का निर्देश दिए जा चुके हैं।  इसमें स्‍थानीय प्रशासन, सिविल डिफेंस वार्डन, होम गार्ड, राष्ट्रीय कैडेट कोर (NCC), राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS) के वॉलिंटियर, नेहरू युवा केंद्र संगठन के मेंबर और स्कूल व कॉलेजों के स्टूडेंट्स शामिल होंगे। सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल को लेकर आज दिल्‍ली में हाईलेवल मीटिंग हुई, जिसमें राज्‍यों के मुख्य सचिव और सेना प्रमुख समेत कई बड़े अफसर मौजूद थे। गृह मंत्रालय ने देश के कुछ जिलों (सिविल डिफेंस डिस्ट्रिक्ट्स) को युद्ध के दौरान बचाव के तरीकों की ड्रिल के लिए चिन्हित किया है। सिविल डिफेंस डिस्ट्रिक्ट्स संवेदनशीलता के आधार पर तीन कैटेगरी में बांटे गए हैं।

कैटेगरी-1 सबसे संवेदनशील
कैटेगरी -2 संवेदनशील
कैटेगरी-3 कम संवेदनशील 

मॉक ड्रिल के दौरान एयर स्ट्राइक/हवाई हमले की चेतावनी देने वाले सायरन बजाया जाएगा।  इमरजेंसी में यह अलार्म सिस्टम लोगों को हवाई हमले के प्रति सचेत करते हैं ताकि लोग सेफ प्लेस पर पहुंच जाएं। आम लोगों के लिए स्कूल, ऑफिस और कम्‍युनिटी सेंटर्स में वर्कशॉप आयोजित की जाएंगी। यहां सिखाया जाएगा कि हमले के दौरान क्‍या करें। जैसे- ‘ड्रॉप एंड कवर’ तकनीक (झुककर छिप जाओ और कान बंद कर लो), नजदीकी शेल्टर का पता लगाना,  प्राथमिक चिकित्सा देना और तनाव के समय शांत रहना सिखाया जाएगा। देश में अचानक ब्लैकआउट की प्रैक्टिस की जाएगी। इसमें लाइट कट कर दी जाएगी। रौशनी वाले सभी उपकरण बंद कर दिए जाएंगे ताकि हवाई हमले के दौरान दुश्मन की नजर से बचा जा सके। 1971 में बांग्लादेश मुक्ति युद्ध के दौरान क्रैश ब्लैकआउट व्यापक तौर पर पालन किया गया था। कैमोफ्लाज एक्सरसाइज यानी सैन्य ठिकानों, संसद, संचार टावरों और बिजली संयंत्रों जैसी रणनीतिक इमारतों और प्रतिष्ठानों को इस तरह ढक (छलावरण) दिया जाएगा कि  सैटेलाइट या हवाई निगरानी के दौरान पहचाना ना जा सके। इवैकुएशन ड्रिल्स,यानी अधिकारी अधिक जोखिम वाले क्षेत्रों से लोगों को सुरक्षित क्षेत्रों पर ले जाने की प्रैक्टिस करेंगे। इवैकुएशन ड्रिल्स में इमरजेंसी में सभी संभावित परेशानियों की पहचान कर संचालन को सुचारू करने में मदद मिलेगी। 

जम्‍मू-कश्‍मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को पर्यटकों पर आतंकी हमला हुआ। इसमें 26 पर्यटकों की मौत हो गई और कई घायल हो गए। इसके बाद से भारत और पाकिस्‍तान के बीच तनाव लगातार बढ़ता ही जा रहा है। पाकिस्तान की ओर से एलओसी पर लगातार फायरिंग की जा रही है। दोनों देश जंग के मुहाने पर आ खड़े हुए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले सात दिनों में तीनों सेना प्रमुखों से मुलाकात कर तैयारियों और संभावित एक्शन प्लान पर चर्चा की। पीएम मोदी ने कहा था कि साजिश करने वालों को उनकी सोच से भी बड़ी सजा मिलेगी।  इसके बाद मॉक ड्रिल कराए जाना भारत सरकार की ओर से एक रणनीतिक बदलाव का संकेत है, जिसमें सैन्य तैयारियों के साथ-साथ नागरिक तत्परता भी देखी जाएगी। सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल एक तरह की प्रैक्टिस है, जिसमें यह देखा जाता है कि अगर कभी कोई इमरजेंसी जैसे- हवाई हमला या बम हमला हो जाए तो आम लोग और प्रशासन कैसे और कितनी जल्‍दी रिएक्‍ट करता है। इसका उद्देश्‍य इमरजेंसी के समय दहशत को कम करना, अराजकता फैलने से रोकना और जान बचाना है। मॉक ड्रिल नागरिक सुरक्षा नियम 1968 के अंतर्गत कराया जाता है। ब्लैकआउट यानी एक तय समय के लिए पूरे इलाके की लाइटें बंद कर दी जाती हैं। इसका उद्देश्‍य यह दिखाना है कि अगर कभी कोई दुश्‍मन देश भारत पर हमला करता है तो पूरे इलाके को अंधेरे में कैसे सुरक्षित रखा जा सकता है। दरअसल, अंधेरे में निशाना साधने में परेशानी होती है।