पीएम मोदी ने ‘मन की बात’ में छठ पूजा को बताया ग्लोबल फेस्टिवल,स्वदेशी को अपनाने का किया आह्वान
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को देशवासियों से ‘मन की बात’ के 127वें एपिसोड के माध्यम से संवाद किया। इस बार प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम की शुरुआत त्योहारों और भारतीय संस्कृति की एकता पर केंद्रित रखी। उन्होंने छठी मइया को नमन करते हुए कहा कि छठ महापर्व भारतीय संस्कृति, प्रकृति और समाज की गहरी एकता का प्रतीक है। प्रधानमंत्री ने कहा, “छठ घाटों पर समाज का हर वर्ग एक साथ आता है। यह दृश्य भारत की सामाजिक एकता का सबसे सुंदर उदाहरण है। उन्होंने दिवाली और छठ जैसे पर्वों के अवसर पर देशवासियों को लिखे अपने पत्र का उल्लेख किया और बताया कि इस पत्र के जवाब में उन्हें देशभर से हजारों नागरिकों के प्रेरक संदेश प्राप्त हुए हैं। मोदी ने कहा कि त्योहारों के इस मौसम ने भारत की सामूहिक चेतना और उपलब्धियों को नई ऊंचाई दी है।
प्रधानमंत्री ने इस दौरान ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का विशेष रूप से उल्लेख किया और कहा कि इस मिशन ने हर भारतीय को गर्व से भर दिया है। उन्होंने कहा, “इस बार उन इलाकों में भी दीपावली के दीये जले, जहां कभी माओवादी आतंक का अंधेरा छाया रहता था। लोग अब इस आतंक के पूर्ण उन्मूलन की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं, ताकि उनके बच्चों का भविष्य सुरक्षित हो सके। पीएम मोदी ने आगे कहा कि ‘जीएसटी बचत उत्सव’ को लेकर देशभर में उत्साह देखने को मिला। उन्होंने बताया कि इस बार त्योहारों के दौरान स्वदेशी वस्तुओं की खरीदारी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो आत्मनिर्भर भारत के प्रति लोगों की जागरूकता को दर्शाती है। उन्होंने यह भी बताया कि देशवासियों ने खाद्य तेल की खपत को 10 प्रतिशत तक कम करने के उनके आग्रह को सकारात्मक रूप से अपनाया है, जिससे स्वास्थ्य और आर्थिक बचत दोनों को बल मिला है। प्रधानमंत्री ने छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर नगर निगम की एक अनोखी पहल — ‘गार्बेज कैफे’ का जिक्र किया। उन्होंने कहा, “ये ऐसे कैफे हैं, जहां लोग प्लास्टिक कचरा लाकर बदले में भोजन प्राप्त करते हैं। एक किलो प्लास्टिक के बदले पूरा खाना और आधा किलो के बदले नाश्ता दिया जाता है। यह स्वच्छता और मानवता का बेहतरीन संगम है।”
इसके अलावा, पीएम मोदी ने बेंगलुरु के इंजीनियर कपिल शर्मा की पहल की सराहना की, जिन्होंने शहर की झीलों और कुओं को पुनर्जीवित करने का अभियान शुरू किया है। उन्होंने बताया कि अब तक 40 कुओं और 6 झीलों का कायाकल्प किया जा चुका है। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह प्रयास जनसहभागिता और स्थानीय प्रशासन के सहयोग का प्रेरणादायक उदाहरण है। कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने इस बार कॉफी की चर्चा भी की। उन्होंने कहा, “आप सभी मेरे चाय से जुड़ाव को जानते हैं, लेकिन आज मैं कॉफी की बात करना चाहता हूं। ओडिशा की कोरापुट कॉफी का स्वाद लाजवाब है और इसने स्थानीय किसानों की जिंदगी बदल दी है। भारतीय कॉफी अब दुनिया भर में प्रसिद्ध हो रही है। उन्होंने कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल और पूर्वोत्तर भारत के कॉफी उत्पादक क्षेत्रों की सराहना करते हुए कहा कि भारतीय कॉफी अपनी विविधता और गुणवत्ता के लिए पूरी दुनिया में सम्मान पा रही है। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन के अंत में कहा कि भारत की शक्ति उसकी संस्कृति, नवाचार और जनसहभागिता में निहित है। उन्होंने देशवासियों से अपील की कि वे स्थानीय उत्पादों को प्राथमिकता दें, स्वच्छता और पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी निभाएं और राष्ट्र निर्माण में सक्रिय भागीदारी करें। इस तरह ‘मन की बात’ के 127वें एपिसोड में प्रधानमंत्री मोदी ने संस्कृति, पर्यावरण, आत्मनिर्भरता और एकता के संदेशों को एक साथ जोड़ते हुए देश को प्रेरित किया।