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हल्द्वानी हिंसाः निगम के हाथ लगा मास्टरमाइंड का बड़ा कारनामा! 1988 में मरे शख्स को बताया जिंदा, ऐसे रची सरकारी जमीन को हड़पने की साजिश

Haldwani violence: Big feat of mastermind caught in the hands of corporation! A person who died in 1988 was declared alive, this is how a conspiracy was hatched to grab government land

हल्द्वानी। हल्द्वानी हिंसा से जुड़े मामले में लगातार नई-नई जानकारियां सामने आ रही हैं। हिंसा के मुख्य आरोपी अब्दुल मलिक और उसकी पत्नी साफिया को लेकर अब नगर निगम ने बड़ा खुलासा किया है। नगर निगम को जांच में पता चला है कि आरोपी अब्दुल मलिक ने मरे हुए शख्स को जिंदा दिखाकर सरकारी जमीन हड़पने की कोशिश की। जांच में अब्दुल के साथ उसकी पत्नी के कारनामे भी सामने आए हैं। नगर निगम ने कोतवाली में अब्दुल मलिक के खिलाफ मामला दर्ज कराया है। जिसके अनुसार 1988 में मृत एक शख्स को मलिक और उसकी पत्नी ने जिंदा दिखाया और अन्य 4 लोगों के साथ मिलकर 13 बीघा सरकारी जमीन हड़पने की कोशिश की। नगर आयुक्त पकंज उपाध्याय के मुताबिक हाईकोर्ट में दायर एक याचिका को जवाब तैयार करने के दौरान कई तथ्य सामने आए हैं। जांच में सामने आया कि 1988 में मृतक नबी रजा खां के नाम से सरकारी नियंत्रण वाली जमीन को फ्री होल्ड करने के लिए आवेदन दिया गया। इतना ही नहीं, 2007 में भी इस जमीन के संबंध में कोर्ट में मृतक के नाम पर झूटे शपथ पत्र लगाकर रिट भी दाखिल की गई। इसके अलावा 1991 में नबी रजा खां की पत्नी सईदा बेगम खां, बेटे सलीम रजा खां, अख्तरी बेगम की तरफ से हल्द्वानी पालिकाध्यक्ष को एक पत्र देकर बताया गया कि नबी रजा खां की मौत 3 अक्तूबर 1988 को हो गई थी लेकिन 2007 में अख्तरी बेगम, नबी रजा खां के नाम से याचिका दायर कर दी गई।

मृतक शख्स को बताया जिंदा, उम्र बताई 55 साल
रिपोर्ट के अनुसार याचिका में जो शपथ पत्र लगाया गया उसमें मृतक नबी रजा खां की उम्र 55 साल बताई गई। जबकि नबी रजा खां की पहले ही मौत हो चुकी थी। मामले में नगर आयुक्त उपाध्या ने कहा कि अब्दुल मलिक की पत्नी साफिया मलिक ने याचिका में कहा कि लीज होल्डर मृतक नबी रजा खां ने दाननामा के जरिए उनके दिवंगत पिता हनीफ खां से 1994 में ये जमीन ली थी। इससे साफ पता चलता है कि मलिक ने 1988 में मृतक शख्स के नाम का उपयोग कर सरकारी जमीन को हड़पने की कोशिश की। उसने जमीन को खुर्द-बुर्द करने की कोशिश की। इस मामले में अब्दुल मलिक, उसकी पत्नी साफिया मलिक सहित 6 लोगों ने जमीन को हड़पने के लिए साजिश रची। यह 13 बीघा जमीन नबी रजा खां को बाग के लिए लीज पर दी गई थी। इसे मलिक का बगीचा नाम दे दिया गया। जब नबी खां की मौत हो गई तो उनके नाम से अब्दुल महिल सहित आरोपियों ने कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।