अंकिता भंडारी हत्याकांड: मीडिया पर कार्रवाई की मांग से उठा विवाद! पत्रकारों के साथ खड़े हुए एडवोकेट विकेश नेगी, निःशुल्क लड़ेंगे पत्रकारों की लड़ाई
देहरादून। अंकिता भंडारी हत्याकांड से जुड़े खुलासों के बाद मामला एक बार फिर सुर्खियों में है। अभिनेत्री उर्मिला द्वारा किए गए खुलासों और भाजपा के पूर्व विधायक सुरेश राठौर की वायरल ऑडियो क्लिप के सामने आने के बाद इस बहुचर्चित मामले में कथित वीआईपी की भूमिका को लेकर सवाल और गहरे हो गए हैं। इन घटनाक्रमों के बीच भाजपा के वरिष्ठ नेता दुष्यंत गौतम का नाम सामने आने के बाद राजनीतिक और सामाजिक हलकों में तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। इस पूरे घटनाक्रम के बाद दुष्यंत गौतम ने प्रदेश के गृह सचिव को पत्र लिखते हुए 28 यूट्यूब चैनलों, न्यूज़ पोर्टलों और कुछ निजी पत्रकारों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। इस कदम को लेकर मीडिया और नागरिक समाज में नाराज़गी देखी जा रही है। पत्रकारों का कहना है कि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को दबाने का प्रयास है।
अंकिता भंडारी हत्याकांड को उत्तराखंड, विशेषकर पहाड़ की अस्मिता से जुड़ा मामला बताते हुए कई सामाजिक संगठनों और पत्रकारों ने स्पष्ट कहा है कि यदि इस केस में कोई भी वीआईपी शामिल है, तो उसे कानून के अनुसार सख्त सजा मिलनी चाहिए। आलोचकों का कहना है कि मीडिया को डराने या चुप कराने के बजाय दुष्यंत गौतम को स्वयं आगे आकर जांच में सहयोग करना चाहिए था। पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की मांग है कि दुष्यंत गौतम अंकिता भंडारी हत्याकांड की तारीख और उससे पहले-बाद के लगभग एक सप्ताह का अपना सार्वजनिक शेड्यूल जारी करें, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि वह उस समय उत्तराखंड में थे या नहीं। इसके साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि उन्हें देहरादून आकर पुलिस जांच में सहयोग करना चाहिए और मीडिया के सवालों का सामना करना चाहिए।
इस बीच एडवोकेट विकेश नेगी ने पत्रकारों के समर्थन में बड़ा ऐलान किया है। उन्होंने कहा है कि अंकिता भंडारी हत्याकांड से जुड़े मामलों में यदि पत्रकारों पर किसी भी तरह की कानूनी कार्रवाई की जाती है, तो वे उनकी कानूनी लड़ाई पूरी तरह निशुल्क लड़ेंगे। उनका कहना है कि यह मामला केवल एक हत्या का नहीं, बल्कि लोकतंत्र, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और न्याय की लड़ाई से जुड़ा हुआ है।