सूरजकुंड दिवाली मेला में आत्मनिर्भर भारत और स्वदेशी मेले की झलक, दीपेश राही के गानों पर झूमे दर्शक
चंडीगढ़। हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के निर्देशन में एवं राज्य के पर्यटन मंत्री अरविंद शर्मा के मार्गदर्शन में सूरजकुंड (फरीदाबाद) परिसर में आयोजित सूरजकुंड दिवाली मेला 2025 इस वर्ष “आत्मनिर्भर भारत - स्वदेशी मेला” की थीम पर आधारित है। यह मेला 7 अक्टूबर तक चलेगा और देश की विविध सांस्कृतिक विरासत, हस्तशिल्प, पारंपरिक खानपान और लोक कलाओं का अद्भुत संगम प्रस्तुत कर रहा है।
गत रात्रि मेले के सांस्कृतिक मंच पर “वॉयस ऑफ पंजाब 2013” के विजेता गायक दीपेश राही ने अपनी दमदार और भावपूर्ण प्रस्तुति दी। उनकी प्रस्तुति मेले की प्रमुख आकर्षणों में से एक रही। दीपेश राही ने पारंपरिक और आधुनिक संगीत का अनूठा संगम प्रस्तुत करते हुए एक के बाद एक सुपरहिट गाने पेश किए। उनके गानों में “सामने होवे यार ते नाचना पैंदा है”, “कजरा मोहब्बत वाला”, “गुड़ नाल इश्क मिठ्ठा”, “चिट्टे सूट ते दाग पे गए”, “न जाई पीरा दे डेरे मस्त बना देंगे बिबा”, “डॉलर वांगू नी नाम सदा चलदा”, “दो गल्ला करिए बैजा”, “दिल चोरी साडा हो गया” और “ये जो हल्का हल्का सुरूर है” शामिल थे। इन गीतों ने उपस्थित जनसमूह को झूमने, नाचने और गुनगुनाने पर मजबूर कर दिया। दीपेश राही की प्रस्तुति ने सिर्फ मनोरंजन ही नहीं किया, बल्कि मेले में उपस्थित प्रत्येक वर्ग के श्रोताओं को भावनात्मक और सांगीतिक अनुभव प्रदान किया। मेले में पारंपरिक हस्तशिल्प, विविध खानपान और लोक कलाओं के स्टाल भी सजाए गए हैं, जो स्थानीय कारीगरों और उद्यमियों की प्रतिभा को प्रदर्शित कर रहे हैं। सूरजकुंड दिवाली मेला न केवल शिल्प और सांस्कृतिक धरोहर को सामने लाता है, बल्कि भारतीय संस्कृति और स्वदेशी उत्पादों के प्रचार-प्रसार का भी महत्वपूर्ण मंच है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और पर्यटन मंत्री अरविंद शर्मा की देखरेख में यह मेला देशभर के पर्यटकों और स्थानीय लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। मेले में आने वाले लोग न केवल संस्कृति और संगीत का आनंद ले रहे हैं, बल्कि स्वदेशी उत्पादों के महत्व को भी समझ रहे हैं। इस वर्ष का मेला भारतीय सांस्कृतिक विविधता, आधुनिकता और परंपरा का अद्भुत संगम साबित हो रहा है और दीपेश राही की प्रस्तुति ने इसे और भी यादगार बना दिया।