उपराष्ट्रपति धनखड़ का इस्तीफा: संघर्षों भरा सफर ! गांव की पगडंडियों से संसद के उच्च सदन तक...? जानें अब मानसून सत्र में कौन संभालेगा राज्यसभा का चार्ज?

नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आज सोमवार देर शाम अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने इसके पीछे स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया है। जगदीप धनखड़ एक प्रख्यात वकील और पश्चिम बंगाल के पूर्व-राज्यपाल भी रह चुके हैं।
बता दें कि जगदीप धनखड़ का पूरा जीवन एक प्रेरणादायक यात्रा है, जिसमें उन्होंने एक साधारण ग्रामीण पृष्ठभूमि से निकलकर भारत के उपराष्ट्रपति पद तक का सफर तय किया। उनका जन्म 18 मई 1951 को राजस्थान के झुंझुनूं जिले के किठाना गांव में हुआ था। शुरुआती पढ़ाई गांव किठाना के ही सरकारी माध्यमिक विद्यालय से हुई। गांव से पांचवीं तक की पढ़ाई के बाद उनका दाखिला गरधाना के सरकारी मिडिल स्कूल में हुआ। इसके बाद उन्होंने चित्तौड़गढ़ के सैनिक स्कूल में भी पढ़ाई की। 12वीं के बाद उन्होंने भौतिकी में स्नातक किया। इसके बाद राजस्थान विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई पूरी की। 12वीं के बाद धनखड़ का चयन आईआईटी और फिर एनडीए के लिए भी हुआ था, लेकिन नहीं गए। स्नातक के बाद उन्होंने देश की सबसे बड़ी सिविल सर्विसेज परीक्षा भी पास कर ली थी। हालांकि, आईएएस बनने की बजाय उन्होंने वकालत का पेशा चुना। उन्होंने अपनी वकालत की शुरुआत भी राजस्थान हाईकोर्ट से की थी। वे राजस्थान बार काउसिंल के चेयरमैन भी रहे थे।
इस बीच उपराष्ट्रपति के इस्तीफे के बाद सबसे बड़ा सवाल यही उठ रहा है कि अब राज्यसभा की अध्यक्षता कौन करेगा? संविधान के मुताबिक, भारत का उपराष्ट्रपति राज्यसभा का सभापति होता है और उसी की अध्यक्षता में राज्यसभा का सत्र चलता है। लेकिन अब क्या होगा? संविधान के मुताबिक अगर किसी कारणवश सत्र के बीच में उपराष्ट्रपति इस्तीफा देते हैं, वैसे ही राज्यसभा के सभापति की कुर्सी खाली हो जाती है। तो ऐसे में सत्र को सुचारु रूप से चलाने के लिए एक वैकल्पिक व्यवस्था आवश्यक होती है। अनुच्छेद 89(1) के मुताबिक, राज्यसभा के उप सभापति, सभापति की अनुपस्थिति में सभी कार्यों की निगरानी करता है। जब राज्यसभा में अध्यक्ष मौजूद न हो, तो राज्यसभा के मौजूदा सत्र की जिम्मेदारी उप सभापति को सौंपी जाती है और वही सत्र सुचारू रूप से चलाते हैं। मौजूदा समय की बात करें तो राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश नारायण सिंह हैं, जो 2020 से इस पद पर कार्यरत हैं। ऐसे में जब तक नए उपराष्ट्रपति का चुनाव नहीं होता और वो पदभार ग्रहण नहीं कर लेते, तब तक उप सभापति हरिवंश नारायण सिंह राज्यसभा की कार्यवाही को संचालित करेंगे।