ब्रेकिंग : उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर दिया इस्तीफा!लिंक में पढ़िए उपराष्ट्रपति संविधान के किस अनुच्छेद के तहत देते है इस्तीफा

भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।राष्ट्रपति को पत्र में उन्होंने लिखा- स्वास्थ्य की प्राथमिकता और चिकित्सकीय सलाह का पालन करते हुए मैं भारत के उपराष्ट्रपति पद से तत्काल प्रभाव से त्यागपत्र दे रहा हूं। पत्र में उन्होंने राष्ट्रपति को उनके सहयोग और सौहार्दपूर्ण संबंधों के लिए धन्यवाद दिया। साथ ही प्रधानमंत्री और मंत्रिमंडल को भी सहयोग के लिए आभार जताया।उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को संबोधित एक पत्र में स्वास्थ्य संबंधी कारणों और चिकित्सा सलाह का हवाला देते हुए संविधान के अनुच्छेद 67(a) के तहत अपने इस्तीफे की घोषणा की।
बता दे कि भारतीय संविधान का अनुच्छेद 67(ए) उपराष्ट्रपति को अपने पद से इस्तीफा देने से संबंधित है। यह अनुच्छेद कहता है कि एक उपराष्ट्रपति, राष्ट्रपति को संबोधित अपने हस्ताक्षर के तहत लिखकर, अपने पद से इस्तीफा दे सकता है.
ज्ञात हो कि 2022 में जगदीप धनखड़ ने 14वें उप राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी। 6 अगस्त 2022 को हुए उप राष्ट्रपति के चुनाव में धनखड़ ने विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को हराया था। धनखड़ को कुल 725 में से 528 वोट मिले थे, जबकि अल्वा को 182 वोट मिले थे।
पढ़िए त्याग पत्र में धनखड़ ने क्या लिखा
माननीय राष्ट्रपति जी ..
सेहत को प्राथमिकता देने और डॉक्टर की सलाह को मानने के लिए मैं संविधान के अनुच्छेद 67(a) के अनुसार अपने पद से इस्तीफा देता हूं।
मैं भारत के राष्ट्रपति में गहरी कृतज्ञता प्रकट करता हूं। आपका समर्थन अडिग रहा, जिनके साथ मेरा कार्यकाल शांतिपूर्ण और बेहतरीन रहा।
मैं माननीय प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद के प्रति भी गहरी कृतज्ञता व्यक्त करता हूं। प्रधानमंत्री का सहयोग और समर्थन अमूल्य रहा है और मैंने अपने कार्यकाल के दौरान उनसे बहुत कुछ सीखा है।
माननीय सांसदों से मुझे जो स्नेह, विश्वास और अपनापन मिला है, वह मेरी स्मृति में हमेशा रहेगा।
मैं इस बात के लिए आभारी हूं कि मुझे इस महान लोकतंत्र में उपराष्ट्रपति के रूप में जो अनुभव और ज्ञान मिला, वह अत्यंत मूल्यवान रहा।
यह मेरे लिए सौभाग्य और संतोष की बात रही है कि मैंने भारत की अभूतपूर्व आर्थिक प्रगति और इस परिवर्तनकारी युग में उसके तेज विकास को देखा और उसमें भागीदारी की। हमारे राष्ट्र के इतिहास के इस महत्वपूर्ण दौर में सेवा करना मेरे लिए सच्चे सम्मान की बात रही।
आज जब मैं इस सम्माननीय पद को छोड़ रहा हूं, मेरे दिल में भारत की उपलब्धियों और शानदार भविष्य के लिए गर्व और अटूट विश्वास है।
गहरी श्रद्धा और आभार के साथ, जगदीप धनखड़