बच्चे की कहानी सुनकर पसीजा जजों का दिल! सुप्रीम कोर्ट ने पलटा अपना ही फैसला, जानें क्या है पूरा मामला?

The judges' hearts melted after hearing the child's story! The Supreme Court overturned its own decision, know what is the whole matter?

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम टिप्पणी करते हुए बच्चे की कस्टडी के मामले में अपना ही फैसला पलट दिया। कोर्ट ने कहा कि बच्चों की कस्टडी को लेकर अदालत के फैसले अंतिम नहीं हो सकते। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी माना की बच्चे की कस्टडी पिता को देकर अदालत ने गलती की है। इसी के साथ कोर्ट ने 12 साल के बच्चे की कस्टडी उसके पिता को सौंपने के अपने पहले के आदेश को बदल दिया है। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस प्रसन्ना बी वराले की बेंच ने कहा कि कस्टडी के आदेश का बच्चे के स्वास्थ्य पर बुरा असरा पड़ा। वह चिंता से जूझ रहा था। कोर्ट ने बच्चे की भलाई को सबसे ऊपर रखा और कहा कि कस्टडी के फैसले समय के साथ बदल सकते हैं। बच्चे की मां ने कोर्ट को बताया कि कस्टडी बदलने से बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ा है। एक मनोचिकित्सक ने भी रिपोर्ट दी कि बच्चे को अलग होने का डर है। कोर्ट ने बच्चे की मां को बच्चे से पिता से मिलने देने का आदेश दिया, ताकि पिता बच्चे के जीवन में शामिल हो सकें। कोर्ट ने माता-पिता को बच्चे की परवरिश की जिम्मेदारी को समझने और बच्चे के भले के लिए मिलकर काम करने की सलाह दी है। 

मामले के अनुसार बच्चे के माता-पिता ने 2011 में शादी की थी। 2012 में उनका एक बेटा हुआ। लेकिन शादी के एक साल बाद ही दोनों अलग हो गए। बच्चे की कस्टडी उसकी मां को दे दी गई। मां ने 2016 में दूसरी शादी कर ली, उसके दूसरे पति के पहले से दो बच्चे थे। बाद में उस महिला और उसके दूसरे पति का भी एक बच्चा हुआ। बच्चे के पिता का कहना है कि उन्हें 2019 तक अपने बेटे के बारे में कुछ पता नहीं था। उस साल, बच्चे की मां ने उन्हें कुछ कागजात के लिए फोन किया। वह और उसके दूसरे पति बच्चों के साथ मलेशिया जाने का फैसला कर रहे थे। पिता ने यह भी कहा कि उन्हें पता चला कि बच्चे का धर्म हिंदू से ईसाई कर दिया गया है। यह सब उनकी जानकारी के बिना हुआ। इसके बाद पिता ने बच्चे की कस्टडी के लिए फैमिली कोर्ट में अर्जी दी, लेकिन उन्हें कोई मदद नहीं मिली। फिर उन्होंने हाईकोर्ट में अपील की। हाईकोर्ट ने बच्चे की कस्टडी पिता को दे दी। मां ने इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की, लेकिन पिछले साल अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने उनकी अपील खारिज कर दी। फिर मां ने सुप्रीम कोर्ट में एक और अर्जी दी। उन्होंने कहा कि कस्टडी बदलने के आदेश से बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है। उन्होंने एक मनोचिकित्सक की रिपोर्ट भी पेश की। रिपोर्ट में कहा गया था कि बच्चे को अपनी मां से दूर होने का डर है।