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उत्तराखण्ड: जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख चुनाव से पहले घमासान! नैनीताल भाजपा प्रत्याशी को हाईकोर्ट से नहीं मिली राहत, कांग्रेस प्रत्याशी का स्टेटमेंट किया रिकॉर्ड

Uttarakhand: Tumult before District Panchayat President and Block Pramukh elections! Nainital BJP candidate did not get relief from High Court, Congress candidate's statement recorded

नैनीताल। उत्तराखण्ड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के तहत जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख पदों के लिए कल 14 अगस्त को मतदान होना है। इस बीच चुनाव से ठीक एक दिन पहले कई जगहों पर खासा घमासान देखने को मिला है।  आज बुधवार को ऊधम सिंह नगर जिले से लेकर नैनीताल और अल्मोड़ा के द्वाराहाट क्षेत्र में खासा हो-हल्ला देखने को मिला।
इस बीच नैनीताल में जिला पंचायत अध्यक्ष पद की कांग्रेस प्रत्याशी पुष्पा नेगी के नामांकन को रद्द करने को लेकर हाईकोर्ट पहुंची भाजपा प्रत्याशी दीपा दर्मवाल को हाईकोर्ट से कोई राहत नहीं मिली। हाईकोर्ट ने उनकी याचिका निस्तारित करते हुए उन्हें इस मामले को चुनाव याचिका में चुनौती देने को कहा है। साथ ही दूसरी याचिका में कांग्रेस की जिला पंचायत अध्यक्ष की उम्मीदवार पुष्पा नेगी द्वारा स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव को लेकर याचिका दायर की थी, जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने याचिकाकर्ता का स्टेटमेंट रिकॉर्ड करते हुए कहा स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव कराए जाने को लेकर निर्देश दिए हैं और याचिका को निस्तारित कर दिया गया। दायर याचिका में कहा गया था कि पुष्पा नेगी व उनके पति लाखन नेगी पर सरकारी जमीन पर अतिक्रमण कर होटल व स्कूल बनाने की शिकायत करते हुए उनका नामांकन रद्द किए जाने की अपील की थी। हाईकोर्ट ने इस मामले में पुष्पा नेगी को नोटिस न देने व उनका पक्ष न सुनने के आधार कोई अंतरिम आदेश नहीं दिया और इस मामले में चुनाव याचिका प्रस्तुत करने को कहा। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायधीश जी नरेंद्र व न्यायमूर्ति आलोक महरा की खण्डपीठ में हुई। दीपा दर्मवाल की ओर से इस मामले को सुबह हाईकोर्ट में मेंशन कराया गया। जिसे कोर्ट ने सुनवाई के लिये दोपहर बाद का समय रखा। याचिकाकर्ता ने पुष्पा नेगी व उनके पति पर सरकारी जमीन में कब्जा करने के गम्भीर आरोप लगाते हुये कहा कि पुष्पा नेगी ने अपने नामांकन में इन तथ्यों को छुपाया है, इसलिये जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिये उनके द्वारा किये गए नामांकन को रद्द किया जाए। जिस पर कोर्ट ने कोई अंतरिम आदेश नहीं दिया।