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उत्तराखंड:जज और पुलिस अधिकारियों के नाम पर फर्जी एनबीडब्ल्यू जारी कर फर्जी स्कैनर से पैसे वसूलने पर हाइकोर्ट सख्त!लिंक में पढ़ें क्या है ये पूरा मामला?

Uttarakhand: High Court strict on issuing fake NBW in the name of judges and police officers and collecting money through fake scanner! Read in the link what is this whole matter?

उत्तराखंड हाईकोर्ट में जिला जज और पुलिस अधिकारियों के नाम पर फर्जी एनबीडब्ल्यू (गैर-जमानती वारंट) जारी कर पैसे वसूलने के मामले में चीफ जस्टिस  जे नरेंद्र और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ में सुनवाई हुई। कोर्ट में आईजी इंटेलिजेंस सुनील मीणा,एसएसपी हरिद्वार,और साइबर सेल के अधिकारी वर्चुअली मौजूद रहे। कोर्ट ने मामले को जनहित याचिका में बदलने का निर्देश दिया साथ ही डीजीपी और साइबर सेल से पूछा कि एक महीने पहले मामले की शिकायत दर्ज की गई थी अभी तक आपने इसमें क्या कार्रवाई की।

आपको बता दें कि याचिकाकर्ता सुरेन्द्र कुमार ने 28 जुलाई 2025 को पीएस कोतवाली ज्वालापुर हरिद्वार में शिकायत दर्ज की थी कि उन्हें अलग अलग नंबरों से अपर जिला जज देहरादून की कोर्ट से एनबीडब्ल्यू (गैर जमानती वारंट) जारी हुआ और तुरंत जुर्माने के तौर पर 30 हजार रुपए दिए गए स्कैनर के माध्यम से जमा करने को को कहा गया। इसके साथ चार और फर्जी स्कैनर भी दिए गए थे। मामले में पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता की धारा 318(4) के तहत मुकदमा दर्ज किया था। एक माह बीत जाने के बाद जब कोई कार्रवाई नहीं हुई तब याची ने उत्तराखंड हाइकोर्ट का रुख किया और याचिका दायर कर कहा है कि देहरादून जिला जज के नाम पर फर्जी स्कैनर लगाया गया है, जिससे लोगों को एनबीडब्ल्यू जारी करते हुए डराकर जुर्माना वसूला जा रहा है,इसके साथ चार और फर्जी बैंक अकाउंट्स के जरिए लोगों से पैसे ऐंठे जा रहे हैं। कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए व्यक्तिगत याचिका को जनहित याचिका में तब्दील कर दिया है। वही सुनवाई में वर्चुअली शामिल हुए एसएसपी हरिद्वार ने कोर्ट ने बताया कि 

याचिकाकर्ता की अधिवक्ता  प्रभा नैथानी ने बताया कि देहरादून के एडीजे के नाम से जारी एनबीडब्ल्यू पूरी तरह फर्जी है,क्योंकि न तो ऐसा कोई मामला किसी कोर्ट में विचाराधीन है और न ही हरिद्वार या देहरादून कोर्ट में इस नाम का कोई न्यायाधीश मौजूद है। इन फर्जी अकाउंट्स के जरिए लोगो को डिजिटल अरेस्ट किया जा रहा है उत्तराखंड हाईकोर्ट ने इस स्कैम को गंभीर मानते हुए कई अहम निर्देश दिए है। कोर्ट ने माना कि इस तरह के फर्जीवाड़े में प्राइवेट बैंकों की भी संलिप्तता हो सकती है, क्योंकि सभी फर्जी अकाउंट्स प्राइवेट बैंकों के ही हैं। कोर्ट ने आरबीआई, खाताधारक प्राइवेट बैंकों और टेलीकम्युनिकेशन कंपनियों को इस मामले में पार्टी बनाने को कहा है,साथ ही कोर्ट ने डीजीपी और साइबर सेल से सवाल किया कि एक महीने पहले दर्ज की गई शिकायत पर अब तक क्या कार्रवाई हुई। मामले की अगली सुनवाई 4 सितंबर, 2025 को तय की गई है।