उत्तराखंड हाईकोर्ट न्यूज:एलटी शिक्षकों की घुटती आवाज़!1990 से सेवा… फिर भी पदोन्नति नहीं!कोर्ट में अगली सुनवाई 4 दिसंबर को
उत्तराखंड हाईकोर्ट में प्रदेश के एलटी शिक्षकों और प्रवक्ताओं की पदोन्नति से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद खंडपीठ ने मामले की अगली तिथि 4 दिसंबर तय की है।
सुनवाई के दौरान सरकारी अधिवक्ता ने न्यायालय को अवगत कराया कि संबंधित शिक्षकों की वरिष्ठता सूची जारी कर दी गई है। वहीं, याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि उनका चयन वर्ष 2005 में सीधी भर्ती के माध्यम से हुआ था, इसलिए वरिष्ठता में पहले उनका स्थान निर्धारित किया जाए। दूसरी ओर, कुछ याचिकाकर्ताओं का यह भी तर्क है कि वे पदोन्नति के माध्यम से नियुक्त हुए हैं, इसलिए वरिष्ठता में उन्हें प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
मामले के अनुसार, प्रदेश में एलटी शिक्षकों और प्रवक्ताओं की पदोन्नति का मामला पिछले कई वर्षों से लंबित चला आ रहा है। इसे लेकर शिक्षक संगठनों द्वारा राज्य सरकार से लगातार मांग की जा रही है कि प्रधानाचार्य पदों पर सीधी भर्ती को निरस्त कर इन पदों को पदोन्नति के माध्यम से भरा जाए। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि वे वर्षों से सेवाएं दे रहे हैं, लेकिन सरकार की ओर से उन्हें पदोन्नति का लाभ अब तक नहीं मिल पाया है। इस दौरान कई शिक्षक सेवानिवृत्त भी हो चुके हैं और उन्हें केवल ग्रेच्युटी व पेंशन का लाभ मिला है, जबकि उनकी पदोन्नति का मामला अधर में लटका रहा।
याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित आदेश भुवन चन्द्र कांडपाल बनाम राज्य सरकार के आधार पर अपनी पदोन्नति की भी मांग की है, यह तर्क देते हुए कि इसी आधार पर सरकार ने अन्य शिक्षकों को पदोन्नति का लाभ दिया है। इस मामले में त्रिविक्रम सिंह, लक्ष्मण सिंह खाती सहित अन्य शिक्षकों ने याचिकाएं दायर की हैं, जो वर्ष 1990 से सेवा दे रहे हैं, लेकिन अब तक उन्हें उनकी सेवाओं का पूरा लाभ नहीं मिल पाया है।