सलाम है! 5 साल की बच्ची का डॉक्टरों ने ब्रेन किया डैड घोषित,ज़िन्दगी की जंग हारकर भी 4 लोगो को दे गई जीवनदान,पिता की मंजूरी मिलने के बाद बच्ची के अंग किये गए प्रत्यारोपित

अपने सामने अपने जिगर के टुकड़े की मौत होता देखकर भी बाप ने उसके अंगदान का निर्णय लिया,ये कोई मामूली पिता तो नही होगा। नन्ही देवदूत और उसके बड़े दिल वाले पिता को आज हर कोई सलाम कर रहा है। ये मामला है चंडीगढ़ का जहाँ 5 साल की नन्ही बच्ची की मौत के बाद उसके पिता ने बच्ची के चार अंगों को दान कर दिया। जी हां! चंडीगढ़ पीजीआई में 5 साल की नन्ही देवदूत 28 दिसंबर को जिंदगी की जंग हारकर भी चार लोगों को नया जीवन दे गई। डॉक्टरों की ओर से बच्ची का ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया था, जिसके बाद पिता से अंगदान की अनुमति मिलने पर बच्ची का हृदय, यकृत, गुर्दा और अग्न्याशय चार मरीजों को प्रत्यारोपित कर दिया गया। पीजीआई में हृदय और यकृत के मिलान का मरीज न मिलने पर उसे मुंबई और दिल्ली के मरीजों की जान बचाने के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाकर भेजा गया।
आपको बता दें कि पांच साल की बच्ची को छत से गिरने पर सिर में गंभीर चोट लगने पर सिविल अस्पताल में भर्ती किया गया था, जहां से डॉक्टरों ने पीजीआई रेफर कर दिया था। बच्ची एक सप्ताह तक जिंदगी और मौत से जूझती रही,लेकिन 28 दिसंबर को डॉक्टरों ने बच्ची का ब्रेन डेड घोषित कर दिया। पीजीआई रोटो की काउंसलिंग के बाद बच्ची के पिता ने अंगदान का निर्णय लिया। पिता ने कहा कि लोगों के लिए बच्ची और मेरे बारे में जानने से ज्यादा जरूरी है कि अंगदान से चार लोगों की जिंदगी बचाई गई है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि जो हमारे साथ हुआ है, वह किसी के साथ न हो,हमने अपने दिल पर पत्थर रखकर बेटी के अंगदान का निर्णय लिया है। अंगदान की अनुमति मिलने पर बच्ची के हृदय को मुंबई और यकृत को दिल्ली के एक-एक मरीज में प्रत्यारोपित किया गया है, जबकि दोनों गुर्दे और अग्न्याशय पीजीआई की प्रतीक्षा सूची में शामिल मरीजों को प्रत्यारोपित किया गया है।
पीजीआई रोटो के नोडल अधिकारी डॉ. विपिन कौशल ने स्थानीय मीडिया को बताया कि हृदय और यकृत को बाहर भेजने के लिए पीजीआई ने शाम 4.30 बजे दो ग्रीन कॉरिडोर बनाए। हृदय और यकृत को शाम 4.40 बजे एयरपोर्ट से मुंबई और दिल्ली के लिए भेजा गया। इसमें पीजीआई सुरक्षा विभाग के साथ चंडीगढ़ व मोहाली पुलिस के अलावा सीआईएसएफ और हवाई अड्डे के कर्मचारियों का योगदान सराहनीय रहा।
गौरतलब है कि इससे पहले 22 दिसंबर को मोहाली की रहने वाली ढाई साल की बच्ची अनायिका को भी सड़क दुर्घटना के बाद इलाज के दौरान पीजीआई में ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया था। अनायिका के पिता से अंगदान की अनुमति मिलने पर 6 मरीजों को नया जीवन दिया गया था।