नैनीतालः दो दिवसीय अकादमिक आउटरीच वर्चुअल वर्कशॉप का शुभारंभ

नैनीताल। कुमाऊं विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान विभाग तथा गार्गी कॉलेज दिल्ली विश्वविद्यालय के शोध एवं विकास सेल द्वारा आयोजित ‘इंट्रोडक्शन टू बायो इन्फॉर्मेटिक्स बायोलॉजिकल सीक्वेंस टू स्ट्रक्चर’ विषय पर दो दिवसीय अकादमिक आउटरीच वर्चुअल वर्कशॉप का आज शुभारंभ हुआ। कार्यशाला में बोलते हुए प्राचार्य गार्गी कॉलेज प्रो. संगीता भाटिया ने कहा कि ये कार्यशाला शोध को बढ़ावा देने के साथ हमें अपने ज्ञान वृद्धि तथा नई प्रौद्योगिकी के प्रयोग को करने का अवसर देती हैं जो समय की आवश्यकता है तथा प्रकृति की संरचना को जानने में भी मदद देती है। विभागाध्यक्ष प्रो. ललित तिवारी ने कहा कि एटीजीसी के न्यूक्लिक एसिड तथा 22 एमिनो एसिड जीवन के रहस्य को समझाते हैं। डॉ. तिवारी ने कहा कि कार्यशाला ट्रेडिशनल बायोलॉजी को मॉडर्न कंप्यूटर बेस्ड टूल से जोड़ने के जानकारी प्रतिभागियों तक पहुंचाएगी। पौधों की वैरायटी तथा एग्रीकल्चर को इससे बेहतर परिणाम दिए जा सकते हैं। बायो इन्फॉर्मेटिक्स अब प्लांट साइंसेज का महत्पूर्ण भाग हो चुका है जिससे प्लांट जीनोम से जीन को जान कर सकते हैं जो स्ट्रेस टॉलरेंस वृद्धि, विकास में मदद करते है तथा क्रॉप वरायटी सतत विकास की कृषि की जा सकेगी।
प्रो. तिवारी ने कार्यशाला की सफलता की कामना के साथ सभी का स्वागत किया एवं गार्गी कॉलेज के टीम एवं भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी मंत्रालय का धन्यवाद भी किया। प्रो. अपराजिता मोहंती गार्गी कॉलेज ने कार्यशाला की रूप रेखा प्रस्तुत की। डॉ. अपराजिता मोहंती ने कार्यशाला का अवलोकन प्रस्तुत करते हुए बायोइंफॉर्मेटिक्स की परिभाषा और शोध में उसकी भूमिका को रेखांकित किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. रीमा मिश्रा ने किया। प्रथम तकनीकी सत्र में डॉ. प्रीति अग्रवाल ने अपने व्याख्यान में डिकोडिंग पर व्याख्यान दिया तथा जैविक डेटाबेस और पब मेड के बारे में बताया। दूसरे तकनीकी सत्र में डॉ. एस हमशा ने ब्लास्ट द्वारा अनुक्रम विश्लेषण और प्रोटीन मॉडलिंग का अभ्यास कराया। कार्यक्रम में डॉ. प्रीतम कौर, डॉ. हर्ष चौहान, डॉ. प्रभा पंत, प्रो. वींना पांडे, डॉ. मीना पांडे, डॉ. ललित मोहन, डॉ. नग़्मा परवीन, अंशुल कथायत, मनोज, आस्था मेहता, आदिति बहुगुणा, आशीष कुमार, सागर, पूजा, विशाल, लता, युक्ता, जिगमित सहित देश के विभिन्न राज्यों के एवं वनस्पति विज्ञान के 64 प्रतिभागी भाग ले रहे हैं। कार्यशाला के अंत में हैंड्स-ऑन सत्रों पर आधारित असाइनमेंट प्रतिभागियों को दिए गए, जिससे वे अपने व्यावहारिक ज्ञान को सुदृढ़ कर सकें।